9.9.10

"दुश्मनों के लिये आज़ दिल से दुआ करता हूं....!"


सोचता हूं कि अब लिखूं ज़्यादा और उससे से भी ज़्यादा सोचूं .....? 
सच कितना अच्छा लगता है जब किसी को धीरज से सुनता हूं. आत्मबल बढ़ता है. और जब किसी को पढ़्ता हूं तो लगता है खुद को गढ़ता हूं. एक  पकवान के पकने की महक सा लगता है तब ....और जब  किसी के चिंतन से रास्ता सूझता है...तब उगता है साहस का ...दृढ़ता का सूरज मन के कोने में से और फ़िर यकायक  छा जाता है प्रकाश मन के भीतर वाले गहन तिमिर युक्त बयाबान में.... ? 
ऐसा एहसास किया है आपने कभी ..!
किया तो ज़रूर होगा जैसा मैं सोच रहा हूं उससे भी उम्दा आप  सोचते हो है न........?
यानी अच्छे से भी अच्छा ही होना चाहिये सदा.अच्छे से भी अच्छा क्या हो यह चिंतन ज़रूरी है.
वे पांव वक़्त के नमाज़ी है, ये त्रिसंध्या के लिये प्रतिबद्ध हैं, वो कठोर तपस्वी हैं इन धर्माचरणों का क्या अर्थ निकलता है तब जब हम केवल स्वयम के बारे में सोचते हैं. उसने पूरा दिन दिलों को छलनी करने में गुज़ारा... और तीस दिनी रोज़ेदारी की भी तो किस तरह और क्यों अल्लाह कुबूल करेंगें सदा षड़यंत्र करने वाला मेरे उस मित्र को अगले रमज़ान तक पाक़ीज़गी से सराबोर कर देना या रब .ताकि उसके रोज़े अगली रमज़ान कुबूल हों...!
ईश्वर उस आदमी को  सबुद्धि देना जो मुझे जाने बगैर मेरी नकारात्मक-छवि चारों ओर बनाए जा रहा है उसकी त्रिकाल संध्या ईश्वर स्वीकारे यही प्रार्थना करता हूं. 
वो इन्सान जो सन डे के सन डे गिरजे में जाकर प्रभू के सामने प्रेयर करता है पूरे हफ़्ते मेरे दुर्दिन के लिये प्रयास करता है उसे माफ़ कर देना उसे पवित्र बना देना ताकि उसकी भी साप्ताहिक प्रेयर स्वीकार सकें आप .
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 दोस्तों शक्ल में मिले इन दुश्मनों के उजले कल के लिये याचना का अर्थ उनके बेहतर कल के लिये है न कि उनको अपमानित करने अपमानित करना होता तो सच नाम सहित उल्लेख करता. मुझमें इस बात का साहस है किंतु किसी को आहत करके उसे बदलने से बेहतर है ..... एक सदाचारी की तरह दुश्मन के लिये भी सदभावना रखना.
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 कल देखिये:-” जीवन में सब कुछ करो झूठी चुगलियों को छोड़ कर"



8 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

उत्तम विचार प्रस्तुत किये हैं. आभार..

Sunil Kumar ने कहा…

क्या बात कही सोलह आने सच यही तो अच्छे आदमी की पहचान है, बधाई

निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

अच्छा लिखे हैं.
कुछ दिनों बाद आपकी नगरी आना होगा. आपसे मिलने की इच्छा है.

निर्मला कपिला ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति। धन्यवाद।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बिलकुल सही लिखा आप ने, धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

पोस्ट बहुत ही सार्थक रही!

Archana Chaoji ने कहा…

सिर्फ आज नहीं....रोज दिल से दुआ करती हूँ ...............

समयचक्र ने कहा…

सार्थक पोस्ट...

Wow.....New

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