सच एक सपनीला सवाल जो तुमने
कविता कही है
किया है एक सवाल
जो उठाती है
सवालों पे सवाल
सवालों पे सवाल
परतें विचारों के झरोखे खोल देतीं है !
की अहिंसा में सत्य में कितना वज़न होता है
महात्मा गांधी , जो कभी नही टूटे
आज तक विश्व-को दिशा देते हैं
"हे,राम"
गुजरात का बापू विश्व को एक सूत्र में बाँध रखने
वाला बापू आज भी समीचीन है
लादेन तुम जान लो इस काया ने अपने
आचरण से /सत्य के साथ
विश्व को सामंतों को हिला दिया था
क्या धरती की रक्षा के लिए तुम
एक पल को इस गांधी की तस्वीर निहारने की
क्षमता रखते हो.....?
शायद वो माद्दा तुम में नहीं
तो ठीक है
हममें तुम को यह समझाने का
सामर्थ्य है ।
अगर बापू-पथ तुम्हारी नज़र में सही न हो
सत्य तुमको पसंद न हो तो भी एक बार इसे समझने की
कोशिश करो
आज ईद पर तुमसे यही इल्तजा है !
{चित्र:प्रीटी,गुजरात/गूगल बाबा से आभार सहित }
5 टिप्पणियां:
सुन्दर अति सुन्दर
THANK'S
WITH YOUR NICE POETRY
जिनको खो कर वो,
एक बार तन्हा हुई थी,
न पाकर उन्हें आंखों में,
फूट-फूट कर रोयी थी,
gandhiji sadaiv prasangik hain.
SAHI HAI DR ASHOK JE
गजब!! क्या बात है...वाह!!
शुभ दिवस की बधाई एवं शुभकामनाऐं.
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