2.8.18

ये भी नहीं अरे भाई ये न ये भी नहीं !



1928 में आई एक फिल्म में सेलफोन की क्लिपिंग 

आज जिस बिंदु पर चर्चा करना चाहता हूँ वो सनातन शब्द नेति नेति या  नयाति नयाति ... अर्थात ये भी नहीं अरे भाई ये न ये भी नहीं ! दिनों से एक बात कहनी थी परन्तु सोचता था कि – संभव है कि आगे आने वाले और बीते समय की यात्रा की जा सकती है. परन्तु वास्तव में यह एक असत्य थ्योरी ही है. जिसे मानवीय मनोरंजन के लिए गढ़ा गया है .
ये अलहदा तथ्य है कि “असीमित संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता” पराशक्तियाँ भी हैं जो ऐसा कुछ करा सकतीं हैं. अगर परा शक्तियां कुछ कर या सकतीं सकतीं हैं तो केवल इतना कि आपको बीता समय हूबहू स्मरण करा दे अथवा भविष्य की झलक स्वप्न  के रूप में दिखा दे पर भविष्य का स्वप्न केवल आभासी होगा . किशोरावस्था में  असंख्य बार मैंने महसूस किया था कि मैं सायकल और बाइक चला रहा हूँ. ऐसा अनुभव जागते हुए तो कदापि नहीं केवल स्वप्न में यह संभव था . जबकि मुझे जानने वाले सभी जानते हैं कि ऐसा संभव कदापि नहीं है. क्योंकि मेरे दाएं अंग में पक्षाघात है मसल्स हैं ही नहीं शरीर यंत्र का संचलन असामान्य एवं अतिरिक्त गैजेट्स (सहायक-उपकरण) पर है जैसे क्रेचेस .
अर्थात वो क्रिया जो घटित नहीं हो सकती कभी घटित न होगी . हाँ अगर शरीर में मसल्स लगाएँ जावें अथवा कोई अन्य उपकरण लगा दिया जावे तो संभव है. और ये तब जबकि वो सहायक उपकरण मेरी मानसिक अनुदेशों को समझ कर तदानुसार कार्य करे . अथवा कोई कायिक-चिकित्सकीय सामर्थ्य ( मेडिकल-क्षमता ) मेरे शरीर में पुन: पोलियो के पूर्व की स्थिति कायम कर दे .
सुधि जन जानें कि फिर भी यदि मैं दावा करूँ कि मैंने सायकल चलाई है तो केवल मिथ्या ही होगी.
इसी प्रकार मेरा एक और  मत यह भी है कि  जो घटना भविष्य में आकार लेगी उसका अनुमान मात्र लगाया जा सकता है न कि उस तक भौतिक रूप से पंहुचा जा सकता है.
एक मित्र ने दावा किया कि समय यात्रा  संभव है ..! बिना विरोध किये मैंने पूछा कि- अगर मेरा जन्म 1963 में हुआ है  2050 में मेरी उम्र क्या होगी ...? मित्र ने सटीक गणना करते हुए बताया कि जिस माह एवं तारीख में तुम्हारा जन्म हुआ है 2050 के उस माह और तारीख पर तुम 87 वर्ष के हो जाओगे.
मेरा अगला सवाल था कि तुम मुझसे दूर कहीं रहकर 2050 में टाइम मशीन के ज़रिये समय यात्रा  {  time-tour } कर  मिल सकते हो ?
मित्र जो टाइम मशीन की यात्रा को मानता था ने उत्साहित होकर कहा  – अवश्य . मेरा उत्तर था कि टाइम-मशीन के ज़रिये तुम अकेले 2050 में गए हो न कि मैं..! 
 तो  फिर  तुमको 87 साल का बूढ़ा गिरीश उधर कैसे मिलेगा. चलो मान लिया कि तुम उस यात्रा में सफल भी हो गए किन्तु मैं 2045 में ही मर चुका हूँ तो क्या ये संभव है. कि तुम मुझसे मिलोगे ?
मित्र के पास कोई ज़वाब न था. पर मैं इस बात से सहमत अवश्य हूँ कि मेरी आवाज़ जो तरंगें बन कर खुले आकाश में अन्य तरंगों से मिल जातीं हैं उनको विशेष यांत्रिक सहायता से री – क्रियेट किया जा सकता है. तुम उसे पहचान सकते हो क्योंकि तुमने मेरी आवाज़ सुनी है. शेष तुम्हारे साथ बिताए पलों में घटित घटनाएं दृश्य  जो केवल तुम्हारे मष्तिष्क में फीड हैं रीप्रोडक्ट होतीं रहेंगी जब तक तुम्हारे दिमाग की वो कोशिकाएं जीवित हैं जो स्टोरेज के लिए ज़िम्मेदार हैं.
घटनाएं न तो शेष रहतीं हैं जिन तक किसी मशीन के सहारे जाया ही जा सकता है  न ही वे घटित होने के पूर्व किसी को नजर नहीं आ सकतीं .
मित्र ने कहा कि फिर तुम नेति-नेति पर भरोसा क्यों करते हो ..? मित्र का सवाल वाजिब एवं स्वाभाविक था . सो मैंने मित्र को अवगत कराया कि हर सिद्धांत यह साबित कर रहा है कि ब्रह्माण्ड  एक नहीं कई हैं. हमारा सोलर सिस्टम उसी ब्रह्माण्ड एक छोटा सा हिस्सा मात्र है . यहाँ नेति नेति अर्थात नयाति नयाति का अर्थ ये जानिये कि इस ज़हां से आगे और भी ज़हान हैं.
टाइम-ट्रेवल की अवधारणा को प्रचारित करने का कारण  केवल हबर्ट जार्ज वेल्स के  उपन्यास द टाइम मशीन  और उस पर आधारित बनी   फिल्मों  के लिए दर्शक जुटाना मात्र था.       



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