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शनिवार, जुलाई 28, 2018

जीवन एक मृत्यु पथ है.. और तुम मृत्युंजय नहीं हो


तुम मैं  हम सब उधर ही जा रहें हैं जहां अंतिम सत्य प्रतीक्षा कर रहा है..
अहर्निश चलते चलो रुको मत घबराओ मत जीत लो समय को कहते हैं कि समय बलवान है बलवान से लड़ो परास्त करो उसे उस पर हावी रहो
जो कहना है खुल के कहो...
जो करना  है खुल के करो ... प्रेम करो ....... सब प्रेम चाहते हैं..
दुश्मन से भी ........ उसे मारो मत ..... क्योंकि वो भी #मृत्यु_पथचारी है तुम्हारी तरह ...
चलो उठो ........
मृत्यु एक नायिका है.. अभिसारिका सी प्रतीक्षारत है...यह मिलन देवताओं को भी नसीब कहाँ ?
 जन्म से उससे मिलन पलों  के बीच बहुत ही ज़रा सा समय मिला है.. आनंद में बिता दो ... ! आनंद मिलेगा किन्नर अपाहिज, कमजोर, को सम्मान देने में. आनंद मिलेगा शरसेज पर लेटने में .. झूठ नहीं सत्य है.
अद्वैत में एक है दूजा कोई नहीं तो वो अछूत ये विशुद्ध कैसा ? वो दलित क्यों ? प्राण ही है न तुम शरीर के सेवक मत बनो तुम प्राणों के दास बनो दास बनाना बुरा नहीं दास बनाना बुरा है । दास बनाके स्वामित्व का बोध होता है तुमको स्वामित्व सत्ता का एहसास कराता है सत्ता हिंसा के मार्ग का दर्शन कराती है । हिंसक मत बनो ऐसी सत्ता से दूर रहो जो हिंसा की गलियों में घुमाया करती है । अरे जीतना है न ? तो समय को जीत लो ... हर पल को हर क्षण को .. जीतना ही होगा.
ईश्वर है नहीं है इस समीक्षा से इतर देखो जब तुम जागते तब सोते हो तब कौन तुम्हारे  मृत्युपथ को सुगम बनाता है. वही ईश्वर उसके नाम पर घोर नाटक मत रचो तुम उसे पकड़ न पाओगे पर यकीन करो वो तुम्हारा खैर-ख्वाह है. बस उसके बनाई कृति का सम्मान करो . मौज करो खाओ खिलाओ फ़कीरी एहसास में जिओ . मरोगे तुम  सम्राट तब ही सम्राट की मौत . हंसों खुलकर पर खुद पर ... दूसरों पर न कभी नहीं.
ज़िंदा दिल साहसी हो  न...?
तो दिखाओ न ज़िंदादिली. मृत्यु से मत डरो
मृत्युपथ पर ज़िंदा लोग ही चलते हैं.. किसी मुर्दे को चलते देखा है कभी ..?
एक ब्रह्म है दूसरा मिले तो प्रमाण सहित बताना ...
सुप्रभात .. फिर मिलूंगा नमन मित्र ...........
 .

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