उफ़्फ़ शरद कोकास भीषण गर्मी को भी एन्जोय करते है ?

http://www.bhaskar.com/2009/05/01/images/demo_6499267300420091111.gifइस बात में कोई दो राय नहीं प्यासे पाखी-और पेड पानी पियॆं इसके लिये सजग हमको रहना है बस हमें जो करना है कि उनके लिये छत आंगन में पानी और  सूखते झुलसते पेडों पौधौं को पानी पिलाना है जी हां यही तो कह रहें हैं शरद कोकास जीसुनिये क्या कहा है उनने

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
संदेश के मुताबिक मुस्करा रहा हूँ...अच्छा लगा शरद जी से बात सुन कर. चिड़ियों के लिए जल एवं भोजन की व्यवस्था के लिए सदैव सजग रहता हूँ.

शहीदों को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!
राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत सुंदर संदेश,हम सब को यह प्रायस करते रहना चाहिये,अभी मै जब भारत गया तो देखा की वहां मोहल्ले मै बंदरो का बहुत उतपात है,कभी किसी को काट लिया तो कभी कुछ... लेकिन एक दो घर ऎसे भी देखे जहां बंदर लोगो को कुछ नही कहते, बल्कि घर वालो के इशारे पर चलते थे, पता किया तो मालुम हुआ कि वो बंदरो को रोजाना पीने के लिये पानी देते है, ओर कभी कभार खाने को भी दे देते है ओर जब १०, १२ बंदर पानी पीते हो ओर पानी खत्म हो जाता है तो, बंदर घर बालो को ओर पानी डालने देते है,उन के कंधो पर बेठ कर प्यार करते है
अच्छा लगा शरद जी से बात सुन कर.
पंछियों को दाना-पानी देना हमारी एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। लोग इसे भूल रहे हैं। इधर कुछ स्वयंसेवी संघठनों के द्वारा भी मोबाइल पर ऐसी ही अपील संदेश के द्वारा दी जा रही है कि छत पर पानी का एक बड़ा घड़ा भर कर जरूर रखें पानी के अभाव में बहुत से पंछी मर जाते हैं।
--ऐसे सभी प्रयासों का स्वागत और अपील का अनुकरण करना चाहिए।
..बातचीत ठीक से नहीं सुन सका फिर प्रयास करूगा क्योंकि क्या बात है! क्या बात है! सुनाई दे रहा है... इसका मतलब कोई बहुत अच्छी बात चल रही है!!

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

क्यों लिखते हैं दीवारों पर - "आस्तिक मुनि की दुहाई है"

विमर्श

सावन के तीज त्यौहारों में छिपे सन्देश भाग 01