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शनिवार, जुलाई 01, 2017

यह (जीएसटी) किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं है, बल्कि हम सबके प्रयासों का परिणाम है: प्रधान सेवक


#हिन्दी_ब्लॉगिंग
29 और 30 जुलाई 2015 की मध्यरात्रि याकूब मेनन को बचाने न्याय पालिका की सर्वोच्च इकाई को बैठना पड़ा था. श्री प्रशांत भूषण साहब की अगुआई में वकीलों के समूह ने राष्ट्रद्रोह के आरोपी याकूब मेनन  को बचाने की भरसक कोशिश भी की थी.  
कार्यपालिका व्यवस्थापिका और प्रेस सभी देर रात तक देश के लिए ही कार्य करते हैं . यही खूबसूरती है इस देश की इसी क्रम में आज भारत ने आज एकीकृत टेक्स व्यवस्था को सहज स्वीकारा है.
मध्यरात्री तक कामकाज प्रजातंत्र के सभी स्तम्भ करतें हैं कुछ कामकाज अदालतें खुलवा कर कराने की कोशिश की जातीं हैं तो GST पर कोहराम क्यों..?
 इस सवाल ने मेरे दिमाग में हलचल पैदा अवश्य कर दी थी किन्तु सियासी मसला न मानकर मैंने अर्थशास्त्र के विद्यार्थी के रूप में इस बदलाव को समझने की कोशिशें की हैं उस बदलाव के दृश्य का साक्षात्कार करना मेरी भारतीय नागरिक के तौर पर आत्मिक-ज़वाबदारी भी थी. अत: मैं  टीवी चैनलों पर जी एस टी के संसद के केन्द्रीय कक्ष से  सीधे प्रसारण को देखता रहा .
सुधि पाठको 14 वर्ष से जिस जी एस टी की प्रतीक्षा सम्पूर्ण भारत को थी उसके लिए बनी कौंसिल ने 18 बैठकें कर इसे अंतिम रूप दिया . राज्य सरकारें इस पर पूर्व से ही सहमति दे चुकीं हैं यह सर्व विदित तथ्य है .    
 “वस्तु-सेवा-कर” में बकौल प्रधान सेवक – 500 प्रकार के करों को समाप्त करते हुए वस्तुओं / सेवाओं   के मूल्यों  में एकरूपता का अभाव देशी विदेशी सभी को कन्फ्यूज़ करता रहा  है जो GST के आने के बाद एकरूपता, सहज एवं पारदर्शिता का वातावरण निर्मित होगा. प्रधान सेवक ने इसे मुक्ति का मार्ग निरूपित किया तथा बताया कि इससे भ्रष्टाचार एवं ब्लैक-मनी क्रिएशन पर रोक लगेगी . अगर वे ऐसा सोचते हैं तो ठीक है पर उन वस्तुओं का क्या जो इस परिधि में नहीं ।
प्रधान सेवक की अभिव्यक्ति से साफ़ होता है भारत को जिस मोर्चे पर सर्वाधिक कमजोर माना जाता था विश्व के इन्वेस्टर्स भारत को पूंजी निवेश अब अनुकूलता  महसूस कर रहें होंगे.
टैक्स का आधिक्य अथवा अनिश्चितता से व्यक्तिगत-क्षेत्र को पूंजी निर्माण करने से रोकता है. जी एस टी के लागू होने के बाद स्थिति में अचानक बदलाव आने की पूरी-पूरी संभावना से इंकार नहीं हो किया जा सकता है. आपको याद होगा कि प्रधान सेवक ने अर्थव्यवस्था के  जिस नये सेक्टर  “पर्सनल सैक्टर” की चर्चा की थी उस पर्सनलसेक्टर को पूंजी निर्माण में सहायता मिले. (http://sanskaardhani.blogspot.in/2015/10/blog-post_25.html)
किंतु ऐसा न हो सका । कुछ बिंदुओं पर GST व्यवस्था  मिलाकर असफल हो सकती है ।

महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी साहब  ( जो जी एस टी से वित्तमंत्री के रूप में जुड़े रहे हैं ) ने अपनी अभिव्यक्ति परिवर्तन के विरोध को सामान्य-घटना निरूपित करते हुए कहा कि – भविष्य में सर्वाधिक कारगर क़ानून होगा.
आज जी एस टी को दिनांक 30 जून 2017 की  मध्य-रात्रि 12 बजकर 01  मिनिट अर्थात 01 जुलाई 2017  इस अवसर पर मौजूद सभी राजनैतिक दलों, उनके सांसदों एवं  आफिशियल्स एवं मीडिया घरानों के प्रतिनिधि-गण प्रसन्न थे. समारोह से गायब रहने  मुंह मोड़ने वालों के अपने तर्क हो सकतें हैं .
रहा 14 साल से लम्बित इस व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद अब मशीनरी का दायित्व बढ़ जाता है. मशीनरी को पूरी दक्षता और ईमानदारी से इसे लागू करने से आर्थिक रिफार्म के लक्ष्य को शीघ्र मिल सकता है.
जी एस टी  लागू हो जाने के बाद करो और कठिनाइयां पहचान कर उसे निराकृत करने की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता . सरकार ने ऐसी व्यवस्था अवश्य सुनिश्चित कर ही ली होगी.

चलते चलते “एक राष्ट्र : एक टैक्स”  का आम नागरिक के रूप में  पुन: स्वागत करते हुए  “एक राष्ट्र : एक क़ानून” की व्यवस्था के प्रति एक बार फिर आशान्वित हूँ
 शायद आप भी ..! परिणाम जो भी हो ।

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