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शनिवार, जून 01, 2024

रिजर्व बैंक में इंग्लैंड से 100 मी सोना क्यों वापस प्राप्त किया ?

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  जी हां भारत ने 46.91 मेट्रिक टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड और बैंक ऑफ़ जापान के पास 4 जुलाई से 18 जुलाई 1991 में गिरवी रखा था।
[  ] जब भारत नहीं 46.91 मेट्रिक टन सोना गिरवी रखा था तो इंग्लैंड से रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 100 टन सोना वापस कैसे प्राप्त किया? क्या सोने पर ब्याज मिलता है?
[  ] दरअसल होता यह है कि,विकसित विकासशील और अविकसित देश अपने देश की कीमती धातु जैसे प्लैटिनम सोना इत्यादि ऐसे देश में रखते हैं, जो आर्थिक रूप से मजबूत हो, तथा विश्वसनीय हो एवं उस देश की मुद्रा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए मान्य हो । भारत के पास शासकीय तौर पर 882 मेट्रिक टन सोना है। जिसमें से 514 मेट्रिक टन सोना विभिन्न देशों की बैंकों में जमा है।
[  ] अब आप सोच रहे होंगे कि - भारत अथवा भारत जैसा कोई भी देश अपने देश का सोना बाहर क्यों भेजता है! क्या हम सोने के भंडार को सुरक्षित नहीं रख सकते।
[  ] वास्तव में यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली का एक हिस्सा है। सरकार भुगतान संतुलन को बनाए रखने के लिए ऐसे देश में अपना सोना उनके सेंट्रल बैंक या फेडरल बैंक में रखते हैं जिन देशों की करेंसी महत्वपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय भुगतानों के लिए मान्य होती है।
[  ] यूरोपीय संघ के कई देशों में एशियाई देशों जैसे भारत रूस तथा अफ्रीकन देशों के गोल्ड रिजर्व रखे हुए हैं।
[  ] गोल्ड रिजर्व अन्य देशों के पास रखने का रखने का एक कारण आंतरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, आंतरिक अनरेस्ट अर्थात कलह भी होता है, तो देश का धन सुरक्षित रहे।
[  ]   अब मूल प्रश्न का उत्तर  देता हूं  भारत ने 4 जुलाई 1991 से 18 जुलाई 1991 तक की अवधि में 46.91 मेट्रिक टन सोना जापान और बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में  रखा था तब  वैश्विक मंदी थी । इस दौर में भारत भी  आर्थिक  परेशानियों से जूझ रहा था। भारत का फॉरेक्स रिजर्व अल्प हो चुका था।
[  ] तब भारत सरकार ने अपने राजकोष में जमा सोने का एक हिस्सा अर्थात लगभग 46.91 मेट्रिक टन सोना गिरवी रख दिया था।
[  ] गिरवी रखे गए सोने के बदले भारत में 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त कर आयात पर भुगतान किया।
[  ] जिसमें अधिकांश हिस्सा पेट्रोलियम पदार्थ का था। इसके अतिरिक्त मशीनरी और मेडिकल उपकरण एवं दवाइयां एवं अन्य जीवन उपयोगी सामग्री के आयात के विरुद्ध किए गए थे।
[  ]  यह सच है कि उसे दौर में गिरवी रखे गए सोने की जानकारी सार्वजनिक तौर पर जनता के बीच नहीं दी गई थी क्योंकि, इससे भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती थी।
[  ] 46.91 मेट्रिक टन सोना भारत द्वारा लंबित भुगतान कर पहले ही वापस प्राप्त किया जा चुका है।
[  ] वर्तमान समय में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी गोल्ड स्टोरेज क्षमता में वृद्धि कर ली है। अब वैश्विक स्तर पर विभिन्न बैंकों में रखे गए भारतीय स्वर्ण भंडार को वापस प्राप्त किया जावेगा।
[  ] कीमती धातु के विदेश में भंडारण को लेकर रूस यूक्रेन युद्ध के बाद एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। नाटो देशों द्वारा रूस पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं, कुछ देशों ने रूस के खाते फ्रीज कर दिए हैं। वर्तमान में वैश्विक तनाव को देखते हुए भारत सरकार ने अपने कीमती धातु के भंडारण को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से वापस लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि - "विश्व में सामरिक स्थिति क्या बनती है?" पर अपनी संपत्ति की रक्षा की जिम्मेदारी लेना कोई गलत बात भी तो नहीं है।
[  ]  मैंने अपने टेक्स्ट ब्लॉग में 21 नवंबर 2022 को "भारत, जैफ बेगौस की भविष्यवाणी गलत साबित करेगा" शीर्षक से एक लेख लिखा था। अंततः सिद्ध किया था कि यूरोप के सापेक्ष एशियाई देशों में आर्थिक स्थिति स्थिर रहेगी भारत तो जैफ बेजॉस की भविष्यवाणी को गलत साबित कर देगा।
[  ] विश्व के श्रेष्ठ 10 समृद्ध देशों  जितना संपूर्ण  गोल्ड रिजर्व है उससे कई गुना अधिक भारत की जनता एवं भारत के मंदिरों के पास है। 
[  ] भारत कि कल वयस्क जनसंख्या से यदि 5 ग्राम अर्थात आधा तोला  या इससे भी आधा अर्थात ढाई ग्राम सोने का गुणनफल विश्व के टॉप 10 आर्थिक रूप से विकसित देशों के गोल्ड रिजर्व से अधिक ही निकलेगा।
[  ] यहां एक और विषय विचारणीय है कि - "भारत की सरकार  अधिकांश उपक्रम से  स्वयं को सीमित कर रही है।" इससे व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि और अर्थव्यवस्था से शासकीय निर्भरता कम होने लगी है। उदारीकरण और निजीकरण की संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद आर्थिक गतिविधियों से शासकीय निर्भरता कम करना सरकार की अंतरराष्ट्रीय नैतिक जिम्मेदारी है। इसका कारण यह है कि भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन के संधि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
[  ] यदि हम विश्व व्यापार संगठन पर हस्ताक्षर नहीं करते तो भारत की आर्थिक स्थिति मजबूती की तरफ नहीं जाती।
[  ] अंत में बताना आवश्यक है, कि वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थनीति कामयाब हुई है इसमें कोई शक नहीं।
Girish Billore Mukul

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