ऐसे सवालों का जवाब उतना ही पेचीदा और रहस्यमय होगा जितना यह सवाल पेचीदा और रहस्यमय है
क्या हमारा दिमाग ब्रह्मांड ऊर्जा और मौजूद सूचनाओं को ग्रहण करता है ?
यह परम सत्य है कि- हम सब इस ब्रह्मांड में रहते हैं. क्योंकि 2 लाख गैलेक्सीयों में से एक "मिल्की वे" गैलेक्सी में हमारा सूर्य और हमारी पृथ्वी सहित इस ब्रह्मांड का एक हिस्सा ही तो है।
ब्रह्मांड में ऊर्जा का अक्षय एवं अनंत भंडार है।
ब्रह्मांड का हमसे क्या रिश्ता है ?
हमारी गैलेक्सी में लगभग 200 अरब तारे होने का अनुमान है ।
हमारा सूर्य भी एक तारा है जो मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र का चक्कर लगाता है और उसकी यह परिक्रमा कुल मिलाकर 24 करोड़ साल में पूर्ण होती है।
By default ब्रह्मांड का हिस्सा ही हुए।
हम ब्रह्मांड की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम ब्रह्मांड और मनुष्य अर्थात प्राणियों के बीच एक संपर्क संरचना पर विचार करेंगे !
श्रोताओं हमारा केवल पृथ्वी से ही संपर्क में नहीं है बल्कि हमारा संपर्क ब्रह्मांड से भी है।
हम पृथ्वी के निवासी अपनी भौतिक जीवन की समस्त ऊर्जा का दोहन ब्रह्मांड से ही करते हैं।
हम ब्रह्मांड से किसी न किसी माध्यम के द्वारा ऊर्जा हासिल करते हैं।
प्राकृतिक तौर से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमारा शरीर एक यंत्र की तरह काम करता है।
सरल शब्दों में अगर कहीं तो ब्रह्मांड एक बैटरी है जिससे हम ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं।
आप सोचते होंगे कि पावर हाउस से जेनरेट इलेक्ट्रिसिटी नामक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए तो केबल अर्थात तारों की जरूरत होती है ।
हां सच है परंतु क्या आप यह नहीं जानते कि-" सनातन परंपराओं में ज्योतिर्विज्ञान का अपना इतिहास है।
वैज्ञानिक प्रयोगों के पूर्व से ही भारतीय ज्योतिर्विज्ञान के ज्ञान से हमारे ऋषि मुनियों ने सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण की तिथियां का निर्धारण करना तथा नक्षत्र की स्थिति का आकलन करना सीख लिया था,
मुझे नहीं लगता कि हमारे पूर्वज किसी यंत्र के सहारे यह गणना करते होंगे। वे केवल अपने ब्रेन से ब्रह्मांड की तहकीकात करने की स्थिति में हुआ करते थे।
मेरा मानना है कि - ब्रह्मांड में जितनी जानकारियां और ऊर्जा व्याप्त है, उसे ग्रहण करने के लिए सवा किलो वजन वाला दिमाग ही मशीन की तरह कार्य करता है।
हमारे दिमाग की सक्रियता हमारी चेतना पर निर्भर है।
यह दिमाग चेतना के माध्यम से ऊर्जा एवं संदेशों को ग्रहण करता है।
वैज्ञानिक इस प्रश्न के जवाब को तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे वैज्ञानिक ऊर्जा के संग्रहण के लिए मस्तिष्क की भूमिका की भी तलाश में भी हैं।
मेरा अनुमान है कि हमारे शरीर के प्रत्येक भाग को मस्तिष्क अर्थात हमारा दिमाग नियंत्रित करता है। हर अंग को आदेश देना मस्तिष्क का काम है। मस्तिष्क ही बताता है कि हमें क्या करना है, अथवा क्या नहीं करना है।
*चिकित्सकीय प्रणाली में ब्रेन डेड जैसे शब्द को सुना होगा है न. ?*
ब्रेन डेड होने की स्थिति का अर्थ है कि हमारे मस्तिष्क से चेतना का अंतर्संबंध समाप्त हो जाना।
मस्तिष्क के संचालन में केवल चेतना महत्वपूर्ण है ।
जब हमारे शरीर के किसी भी भाग में ऑपरेशन किया जाता है तब हमारे मस्तिष्क पर एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है। जिसका कार्य है मस्तिष्क की चेतना तक दर्द की या कष्ट की सूचना न पहुंचे। जब हमारे मस्तिष्क में किसी तरह के कष्ट या दर्द की सूचना नहीं पहुंचती तो हमें दर्द महसूस ही नहीं होता।
मस्तिष्क प्राकृतिक वातावरण से ऊर्जा ग्रहण करने के लिए उपलब्ध ऊर्जा स्रोत का दोहन करता है। यदि हमें भूख लगी है तो मस्तिष्क आदेश देता है कि हम भोजन करें। हमें नींद आती है तब हम मस्तिष्क के आदेश पर सो जाते हैं। यह हमारी शारीरिक प्रक्रिया है जो चेतना द्वारा नियंत्रित मस्तिष्क के माध्यम से सूचनाओं प्राप्त करके वही कार्य करता है जो मस्तिष्क आदेश देता है।
तो ब्रह्मांड से ऊर्जा और सूचनाओं कैसे प्राप्त करता है हमारा शरीर ... ?
हमने पूर्व में चर्चा की है कि हमारे ऋषि मुनि ग्रहों के भ्रमण उनके हम तक आने वाले प्रकाश तथा सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ग्रहण करते हैं। मनुष्य और अन्य प्राणियों के पास चेतना और दिमाग होता है। चेतना ऊर्जा होती है जबकि दिमाग एक यंत्र होता है। दिमाग एक रिसीवर की तरह काम करता है।
श्रोताओं लगभग ढाई हजार विचार हमारे मस्तिष्क में प्रतिदिन आते हैं। इतना ही नहीं जब हम सो जाते हैं तब भी हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है।
हमारा,सपने देखना, मस्तिष्क में जमा दृश्यों को देखना, कल्पना करना और सूचनाओं का विश्लेषण करना , निष्कर्ष निकालना यह सब चेतना का कार्य है ।
चेतना ही ब्रह्मांड से हमारे मस्तिष्क को जोड़ती है।
कुछ दृश्य हम ऐसे भी देखते हैं जिनका हमसे कोई लेना देना नहीं। कुछ ऐसे स्थानों को भी हम देखते हैं.. जिनको हम भविष्य में कभी देख पाते हैं।
हम यह मानते हैं कि ब्रह्मांड में ऐसे दृश्य पार्टिकल के रूप में किसी न किसी ऊर्जा के साथ विचरण करते हैं....जिसे हम चैतन्य मस्तिष्क में संग्रहित कर सकते हैं। उनका विश्लेषण करके हम किसी भी सिद्धांत को प्रतिपादित कर सकते हैं।
इतना ही नहीं हम तारों चमकने की आवृत्ति से उसकी डिस्टेंस का भी पता लगा सकते हैं। जैसा हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने किया। पहले ही हम बता चुके हैं कि - हमारे ऋषि मुनि जिनके पास ना तो उच्च स्तरीय यंत्र थे ना ही कोई प्रयोगशालाएं थी, फिर भी उन्होंने अंतरिक्ष शब्द का उल्लेख किया इतना ही नहीं उन्होंने Details of the position of the constellations को स्पष्ट कर दिया था।
ब्रह्मांड से आने वाली सूचनाओं निरंतर चारों ओर विस्तारित होती है।
मस्तिष्क एक ऐसा यंत्र है जो संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त ऊर्जाओं एवं तरंगों को प्राप्त करके उनका विश्लेषण करता है।
उदाहरण के तौर पर सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के बीच की दूरी कब है कितनी है? यह नक्षत्र ग्रह और उसका उपग्रह एक कतार में कब आएंगे इस तथ्य की जानकारी पृथ्वी और चंद्रमा की दैनिक एवं वार्षिक गतिमान स्थिति का आंकलन करने पर परिणाम के रूप में निकाला जाता है।
जिस प्रकार से कंप्यूटर के एक्सल प्रोग्रामिंग में आप कुछ डाटा डालकर फॉर्मूले लगाते हैं तो आपको आपकी इच्छा के अनुरूप परिणाम मिल जाता है।
चैतन्य मस्तिष्क में कंप्यूटर की तरह कैलकुलेशन की योग्यता होती है।
यह अलग बात है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के टूल भविष्य में ऐसी योग्यता हासिल कर लेंगे। तब भी वे प्रकृति से ऊर्जा और सूचनाओं को ग्रहण कैसे करेंगे यह सवाल बना रहेगा।
फिलहाल हम यह तय कर पाए हैं, कि -" प्रजापिता ब्रह्मा, महर्षि भृगु विश्वामित्र वशिष्ठ तथा मयासुर ने मुख्य रूप से ब्रह्मांड से सूचना में प्राप्त कर सूचनाओं का विश्लेषण किया है। और वे लोग यह कार्य इसलिए कर पाए हैं क्योंकि उनके मस्तिष्क ने चेतना के आदेश पर जो जानकारियां ब्रह्मांड से उन तक पहुंची।
उपरोक्त विवरण यह सिद्ध करता है कि जो भी हम प्राप्त करते हैं उसे ब्रह्मांड से ही प्राप्त करते हैं। कभी सीधे तौर पर तो कभी किसी माध्यम से इस पर और विश्लेषण की आवश्यकता है। #ब्रम्हांड #अंतरिक्ष #गिरीशबिल्लोरेमुकुल #मिसफिट #ऊर्जा #चैतन्य