25.9.22
मिलिट्री तख्तापलट खबर और ग्लोबल टाइम्स खामोश..?
शुक्रवार और शनिवार दरमियानी रात से चीन में तख्तापलट की खबरों का बाजार गर्म हो गया। शनिवार अर्थात 24 सितंबर 2022 सुब्रमण्यम स्वामी जी ने ट्वीट करके चीन के हालातों पर सवाल खड़े कर दिए।
विश्व का समाचार बाजार इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से बेहद प्रभावशाली बन गया है। आज ट्विटर पर नंबर एक पर शी जिनपिंग और नंबर दो पर बीजिंग शब्द सर्वाधिक बार प्रयोग में लाया जा रहा था।
भारतीय खबर रटाऊ मीडिया को बैठे-बिठाए मसाला मिल गया परंतु तथ्यात्मक जानकारी मीडिया हाउसेस में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक अनुपलब्ध रही है।
आइए हम बताते हैं कि किन कारणों से यह खबर इन दिनों विश्व के समानांतर, मीडिया न्यू मीडिया अथवा सोशल मीडिया पर वायरल है कि चीन में मिलिट्री तख्तापलट हो चुका है?
[ ] जब भी चीन के मामले में कोई खबर सुर्खियों में आती है तब ग्लोबल टाइम्स उसे तुरंत रिस्पॉन्ड करता है। परंतु इस खबर के संदर्भ में ग्लोबल टाइम्स की चुप्पी का अर्थ मौन स्वीकृति लक्षण तो नहीं?
[ ] शंघाई को-ऑपरेशन संगठन की बैठक में अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आज सहज रूप में देखा तथा उसका उल्लेख भी किया।
[ ] एक पत्रकार जेनिफर जैंग ने ऐसा वीडियो रिलीज किया जिसमें 80 किलोमीटर तक मिलिट्री के ट्रक बीजिंग की ओर जाते हुए नजर आए। इस वीडियो को पाकिस्तानी यूट्यूबर आरजू अकादमी ने प्रमुखता के साथ अपने दैनिक शो में प्रेजेंट किया है। यद्यपि वे अपने शो में इस मिलिट्री कू की पुष्टि नहीं कर रही थीं।
[ ] इस तख्तापलट का श्रेय जाता है चीन के पूर्व राष्ट्रपति एवं पूर्व प्रधानमंत्री को जिनका नाम क्रमशः हू जिंग ताओ एवम वें ज़िया हो है । खबरें यह भी हैं कि इन दोनों में समरकंद में हुई s.c.o. सम्मिट में ही सी जिनपिंग को सुरक्षा एजेंसियों से गिरफ्तार करवा लिया था।
[ ] समाचार यह भी गर्म है कि-" चीन की एक सेना अधिकारी ली क्यांग मिंग चीन के अगले राष्ट्रपति होंगे।
[ ] अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस समाचार की भी पुष्टि की है कि समिति के उपरांत होने वाले डिनर के पहले ही चाइना के राष्ट्रपति चीन के लिए रवाना हो चुके थे वह भी डिनर में शामिल हुए बिना।
[ ] सूचना माध्यम यह भी बताते हैं कि-" शी जिनपिंग को हाउस अरेस्ट कर दिया गया है।"
[ ] विश्व मीडिया का ध्यान चीन से विश्व में जाने वाली 60% फ्लाइट के उड़ान ना भर सकने को भी इस मिलिट्री तख्तापलट का संकेत माना है। कहा जाता है कि किंतु विश्व भर में 9584 एयरक्राफ्ट विदेशों के लिए उड़ ना सके।
[ ] रूस ने इनको पावर आफ साइबेरिया नाम से जानी जाने वाली पाइप लाइन के जरिए तेल देने पर अस्थाई तौर से रोक लगा दी है।
उपरोक्त परिस्थितियों से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि-" चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब सत्ता विहीन हो चुके हैं। चीन की संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार राष्ट्रपति बनने की व्यवस्था है परंतु शी जिनपिंग का यह प्रयास रहा कि वे आजीवन चीन के राष्ट्रपति रहेंगे। यह तथ्य पूरा विश्व जानता है और चीन के महत्वाकांक्षी लोगों के मन में शी जिनपिंग का यह सपना बरसों से खटक रहा है। इस कारण भी तख्तापलट की इन खबरों से इंकार नहीं किया जा सकता ?
*यदि यह मिलिट्री कू हुआ है तो उसका कारण क्या है?*
मीडिया रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार किया जाए तो आप पाएंगे ताइवान मुद्दे पर चीन के राष्ट्रपति की चुप्पी को लेकर चीन की आर्मी पी एल ए अर्थात पीपल्स लिबरेशन आर्मी राष्ट्रपति के खिलाफ है। दूसरी ओर चीन में आर्थिक संकट तथा आंतरिक आर्थिक अस्थिरता का दोषी भी शी जिनपिंग को माना जा रहा है। साथ ही चीन के नागरिक अब अधिक मुखर हो गए हैं वह शी जिनपिंग के कोविड कालीन प्रबंधन से बेहद नाराज दिखाई दे रहे हैं।
इसके अतिरिक्त चीन का अंतर्राष्ट्रीय रसूख भी इन दिनों तेजी से अपेक्षा कृत कमजोर हुआ है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो विश्वव्यापी इस अफवाह को पूरी तरह से अफवाह नहीं कहा जा सकता? और इसे हूबहू स्वीकारना भी ठीक नहीं है जब तक की कोई आधिकारिक घोषणा ना हो।
*शी जिनपिंग के कार्यकाल में शाइनो-इंडिया रिलेशनशिप*
भारत की ओर से चीन के साथ मैत्री संबंध के प्रयास हमेशा ही सकारात्मक रहे हैं परंतु चीन पर डोकलाम घटना के बाद चीन से रिश्ते नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए थे। अंततः चीन को अपनी रणनीति से भारत के समक्ष झुकना पड़ा। पाकिस्तान के साथ चीन के रिश्ते व्यवसायिक रूप से मजबूत रहे हैं परंतु चीन की श्रीलंका और पाकिस्तान सहित अफ्रीकन देशों के साथ आर्थिक धोखेबाजी से पूरा विश्व चीन के विरोध में है। भारत का स्टैंड जियोपोलिटिक्स में मजबूत होता नजर आता है तो उसका कारण है-"चीन के विश्व के महत्वपूर्ण देशों से रिश्तो में खटास..!" विश्व के महत्वपूर्ण राष्ट्रों में भारत भी शामिल है आप सहज अंदाज लगा सकते हैं कि चीन के साथ हमारा संबंध सामान्य से कमजोर ही रहा है।
यदि यह खबर सत्य है तो ऊपर दिए गए समस्त कारणों के आधार पर ही सत्य होगी परंतु हमें इस बात पर विश्वास करना चाहिए कि भारत के प्रति कीमती विदेश नीति सकारात्मक और भावात्मक नहीं है।
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