वेनेजुएला दक्षिण अमेरिका के उत्तर में स्थित है; भूगर्भीय, इसकी मुख्य भूमि दक्षिण अमेरिकी प्लेट पर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 916,445 किमी2 (353,841 वर्ग मील) और भूमि क्षेत्र 882,050 किमी2 (340,560 वर्ग मील) का है, जिससे वेनेज़ुएला दुनिया का 33वां सबसे बड़ा देश है। इस देश की राजधानी करासस है।
इस देश की वर्तमान में आर्थिक, राजनैतिक
परिस्थितियाँ जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और
हाइपर-इंफ्लेशन के जानकार स्टीव हैंक के मुताबिक़ पिछले 12
महीनों में वेनेज़ुएला में महंगाई 65000 फ़ीसदी
तक बढ़ गई है. यह “अति-तीव्र-मुद्रा-प्रसार” का मौजूदा उदाहरण है ।
इस क्रम में उदय कोटक ने भारत सरकार को एक सलाह दी ...!
दूसरे
विश्व युद्ध में औपनिवेशिक भारत को जिन आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था ।
और उसके बाद अधिकांश देश मुद्रा प्रसार के शिकार हो गए थे। विश्व के कई देशों का
का आर्थिक सदमे में जाना विश्व समुदाय के लिए और नागरिकों के लिए संकट का सबसे
खतरनाक दौर था।
कोविड-19 के
बाद ऐसे ही परिस्थितियां बन रहे हैं मूल्यों में वृद्धि 20% से 30% तक देखी जा रही
है जो कमोबेश मुद्रा प्रसार की ओर अर्थव्यवस्था को ले जाने का रास्ता निर्मित कर
रहा है। दूसरा विश्व युद्ध के साथ-साथ महामारी और अकाल विश्व के हर छोटे बड़े देश
के लिए मानो नर्क की स्थिति निर्मित कर रही थी। यह वह दौर था जब विकसित राष्ट्र भी
अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर टेंशन में थे। ब्रिटेन की हालत तो सबसे ज्यादा खराब थी
और उसने अपनी कालोनियां ट्रांसफर ऑफ पावर के जरिए उन देशों की जनता को सौंपना
प्रारंभ कर दिया जो उनकी कॉलोनी के रूप में पहचाने जाते थे। मित्रों यह वही दौर था
जब भारत ने जन्म लिया था और पाकिस्तान तथा चीन भारत को मरा हुआ जानवर समझ कर चील
की तरह हमलावर थे। लेकिन हम वही भारतीय हैं जिन्होंने वेनेजुएला की तरह अपने आप को
विकास के रास्ते पर चलने को प्रेरित किया। एक बौने कद के बड़े विचारक प्रधानमंत्री
स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के भाषण आज भी आप विभिन्न वेबसाइट पर जाकर सुन
सकते हैं। 1 दिन का व्रत भारत को महान संदेश दे गया। परंतु वर्तमान परिस्थिति में
भारत में शास्त्री की उस आवाज को फिर से समझने के बजाय भारतीय लोग आयातित
विचारधारा से प्रभावित होकर सब्सिडी आधारित उत्पादों के संयमित उपभोग के लिए बेचैन
हैं ।
मित्रों किसी भी देश
की अर्थव्यवस्था पर मुद्रा प्रसार ऐसा घातक परिणाम देता है जो राजनैतिक,
सामाजिक, व्यापारिक रूप से उस देश को दुगने
वेग से वापस भेज देता है उन परिस्थितियों में जहां से उसने यात्रा शुरू की थी।
वेनेजुएला की परिस्थिति भी ऐसी ही है। वेनेजुएला
के लोग एक बहुत बड़े घमंड के साथ स्वयं को प्रस्तुत कर रहे थे कि उनके देश में तेल
का अक्षय भंडार है और उस अक्षय भंडार से वे कभी भी किसी से पीछे नहीं हो सकते।
वर्तमान
में देश की मुद्रा स्थिति 2665 प्रतिशत है और यह देश 1000000 बुलीवर के नोट छापने
के लिए तैयार है । जितेंद्र सिंह राणा
को आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर वह ₹39 का बिल बनाते हैं तो कोई भी वेनेजुएला का पर्यटक 10 लाख
बुलीवर का नोट दे सकता है। स्थिति साफ है की मुद्रास्फीति वेनेजुएला में अपने चरम
पर है। उसके क्या कारण है
[
] सन 1999 राष्ट्रपति मादुरो ने जब सत्ता संभाली तब वेनेजुएला
दक्षिण अमेरिका का एकमात्र ऐसा देश था जहां अकूत मात्रा में पेट्रोल पाया गया।
[
] तब वेनेजुएला की आर्थिक स्थिति नागरिकों को विश्व की श्रेष्ठतम
सुविधाएं देने के लायक थी। परंतु सत्ता में बने रहने की लालच ने मादुरो ने लाखों
घर मुफ्त में बनवा कर जनता को दिए
[
] पेट्रोल पर सब्सिडी आज भी दे रहा है
[
] पेट्रोल उत्पादक कंपनी को अनावश्यक रूप से कर्मचारियों को भर्ती
करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जो अब तक जारी है। इससे सरकार को अतिरिक्त वित्तीय
प्रबंधन करना पड़ा
[
] 1999 में कच्चे तेल की कीमत बहुत अधिक थी किंतु ओपेक की सक्रियता
एवं पेट्रोलियम कच्चे तेल की कीमतों को रेगुलेट करने की क्षमता के कारण कीमतों में
आशा के विपरीत गिरावट आई।
[
] यह देश सोशल विजनरी देश नहीं है बल्कि यहां के लोग उन भारतीयों की
तरह ही है जो पेट्रोल की कीमत बढ़ने पर मातमी जुलूस निकालने लगते हैं। ना तो इस
देश की सरकार उन्हें अन्य उत्पादन कार्यों में लगा पाई और ना ही इस देश के नागरिक
अन्य किसी काम के लायक रहे। जानकार कहते हैं कि वेनेजुएला की आबादी केवल शासकीय
योजनाओं का लाभ उठाकर जीने वाली आबादी बनकर रह गई। और उस आबादी का विकास तो
बिल्कुल भी नहीं होता जो घर बैठकर खाती हो।
[
] भारत में यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे तेज होने लगी है। सब्सिडी किसी
भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए दीमक से हटकर और कुछ नहीं।
[
] वेनेजुएला की सरकार हर हालत में तेल का उत्पादन स्वयं अपनी कंपनी
से कराती है। आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि प्राइवेट प्लेयर अगर किसी व्यवसाय
को नहीं कर पाए तो उस देश की अर्थव्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। और
ऐसा ही हुआ है वेनेज़ुएला के साथ । इधर भारत में हाल के दौर में जब भारत में
सरकारी कंपनियों में पूंजी की सहभागिता बढ़ाई गई तब लोगों ने हंगामा खड़ा कर दिया।
[
] डब्ल्यूटीओ के समझौते के अनुसार विश्व की सरकारों को सब्सिडी और
सरकारी नियंत्रण में कमी लाने की शर्त सबसे प्रभावी शर्त है । भारत में अत्यधिक
सब्सिडी की शिकायत कनाडा की अगुवाई में डब्ल्यूटीओ के दफ्तर में कई बार पहुंची है।
यूरोपीय देशों ने 2018 से 2019 तक भारत के खिलाफ नकारात्मक वातावरण बना दिया था।
दुर्भाग्यवश कोविड-19 पेंडामिक की स्थिति में सभी को प्रभावित कर
दिया है। वरना यूरोपीय संघ भारत के व्यापारिक एवं उत्पादन क्षमता के विरुद्ध तेजी
से सक्रिय था।
[
] वैश्विक महामारी के चलते विश्व के कई देशों को मुद्रा संकट का
सामना करना पड़ रहा है भारत की स्थिति भी वही है अगर भारत कोटक की सलाह मान ले ऐसी
स्थिति में भारत गंभीर मुद्रा संकट से घिर सकता है ।