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शुक्रवार, मई 28, 2021

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2021 अब मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता में अधिक कार्रवाई और निवेश का आह्वान कर रहा है : स्नेहा चौहान

!        हर साल 28 मई को, गैर-सरकारी संगठन, सरकारी एजेंसियां, निजी क्षेत्र, मीडिया और व्यक्ति मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (एमएच दिवस) मनाने के लिए एक साथ आते हैं और अच्छे मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) के महत्व को उजागर करते हैं।28-मई  -2020 इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य विचार मासिक धर्म से जुड़े सामाजिक कलंक को बदलना है।  28 मई की तारीख को इस दिन को मनाने के लिए चुना गया था क्योंकि औसतन ज्यादातर महिलाओं के लिए मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है और ज्यादातर महिलाओं के लिए मासिक धर्म की अवधि पांच दिनों की होती है।  इसलिए, तारीख 28/5 रखी गई थी।


मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है, न कि कोई बीमारी। जैसा कि अब भी बहुत से लोग सोचते हैं। हर महीने होने वाली यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो हर महिला के शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार करती है। मासिक धर्म के दौरान, एक महिला के गर्भाशय से रक्त और अन्य सामग्री वेजाइना के माध्यम से बाहर स्रावित होती है। हर महीने 3-5 दिन तक जारी रहने वाली यह प्रक्रिया प्‍यूबर्टी (10-15 वर्ष) से ​​शुरू होकर रजोनिवृत्ति (40-50 वर्ष) तक चलती है। अब भी हमारे समाज में इस प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया को कलंक और वर्जनाओं की दृष्टि से देखा जाता है।


 इस विषय पर महिलाओं में भी शर्म और संकोच मौजूद है। अपने स्‍त्री होने पर ही शर्म महसूस करना जैसे इस प्रक्रिया का दूसरा प्रतीक बन गया है। इसके अलावा अन्‍य शारीकिर परेशानियां भी महिलाओं के लिए इस दौरान होने वाली दिक्‍कतों में शामिल हैं। पेट में ऐंठन, दर्द और मूड स्विंग ऐसी परेशानियां हैं जिनसे ज्‍यादातर महिलाएं मासिक धर्म के दौरान परेशान रहती हैं। जबकि आज भी मासिक धर्म पर स्‍वच्‍छता का अभाव देखने को मिलता है। जिसकी वजह से कई तरह के संक्रमणों का खतरा बना रहता है। इन सभी मुद्दों पर ज्‍यादा से ज्‍यादा जागरुकता पैदा करने के लिए जर्मनी के गैर सरकारी संगठन WASH यूनाइटेड द्वारा 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (MHD) मनाने का संकल्‍प किया है।


फील्‍ड में और ऑनलाइन माध्‍यमों में इस संदर्भ में अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। दुनिया भर में मासिक धर्म के संदर्भ में फैली रूढि़यों और वर्जनाओं को दूर करने की जरूरत है।  मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2019 की थीम थी ‘It’s Time for Action’। अर्थात अब कुछ करने का समय है। इस थीम का उद्देश्‍य था मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपनी निजी स्‍वच्‍छता के प्रति जागरुक करने, नई जान‍कारियां देने, इस दिशा में कार्यरत संस्‍थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र की संस्‍थाओं, सरकारों, फ़ंडों, गैर-सरकारी संगठनों और विश्व निकायों की भूमिका को और सक्रिय करने की जरूरत है। साथ ही उन्हें स्वच्छता सुनिश्चित करने संबंधी उत्‍पादों को सुलभ करवाने में भी मदद की जरूरत है।

मासिक के उन दिनों के प्रति जागरूकता हेतु 
 इसके अलावा आप अपने इलाके में एक छोटी रैली आयोजित कर सकते हैं। जिसमें मासिक धर्म स्वास्थ्य पर संदेश लिखे पोस्‍टर, बैनर और टी-शर्ट और कैप आदि भी शामिल कर सकते हैं। स्कूल के शिक्षक और अन्‍य अधिकारी 28 मई का दिन बच्‍चों को मासिक धर्म के बारे में जागरुक करने के लिए समर्पित कर सकते हैं। स्कूल परिसर में बच्चों के बीच एक क्विल, निबंध, पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित कर इस संदर्भ में फैले भ्रम को दूर कर जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। यह छोटे-छोटे प्रयास अगली पीढ़ी को इन वर्जनाओं से मुक्ति दिलवाने में मदद करेगी।
इसके अलावा समाज में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के लिए सैनिटरी पैड खरीदने के लिए धन जुटाना भी एक अच्छी पहल हो सकती है। यदि आप ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल हैं तो आप इसे मासिक धर्म स्वच्छता दिवस  की आधिकारिक वेबसाइट  (www.menstrualhygieneday.org/events) पर पंजीकृत कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर एक मैप दिखाई देगा, जिसमें इस अवसर पर आयोजित होने वाले तमाम आयोजनों को मार्क किया जाएगा। इसमें मीडिया संगठनों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है। जिससे आपका संदेश और प्रयास एक बड़े सर्कल तक संप्रेषित हो पाएगा।

 मासिक धर्म स्वच्छता दिवस कैसे मनाएं

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस दुनिया भर में रैलियों, फिल्म स्क्रीनिंग, थिएटर, प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं, सेमिनारों और भाषणों, सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से मनाया जाता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप इन समारोहों का हिस्सा बन सकते हैं। आप मासिक धर्म के बारे में फोटो, वीडियो, जानकारी या अपने विचार पोस्ट करने के लिए अपने सोशल मीडिया हैंडल का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, आप लोगों को टैबू को तोड़ने और इस मुद्दे पर खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करने संबंधी कहानियां भी शेयर कर सकते हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने के टिप्स

मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने के लिए, आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप कम से कम हर 6 घंटे के बाद अपना पैड बदलें। यदि आप लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन लगाए रखती हैं तो आपको यूरिनरी ट्रेक्‍ट इंफेक्‍शन होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, पैड की जगह सूती कपड़े का उपयोग भी स्वच्छता के लिहाज से ठीक नहीं है। हमेशा सैनिटरी नैपकिन, टैम्पोन या मेन्‍स्‍ट्रुअल कप्‍स का ही इस्‍तेमाल करें।
अपने पीरियड्स के दौरान अपने वेजाइना अर्थात योनि को नियमित अंतराल पर गुनगुने पानी से साफ करें। धोने के बाद वेजाइना को पोंछ कर सुखाना न भूलें। वरना यहां बदबू और संक्रमण होने का खतरा रहता है। मासिक धर्म के दौरान नियमित स्‍नान करें, हो सके तो रात में सोने से पहले भी। इससे पीरियड में होने वाले क्रेम्‍प्‍स और मूड स्विंग से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही  अपने इस्‍तेमाल किए हुए सैनिटरी पैड का उचित निस्‍तारण भी बहुत जरूरी है। अन्यथा, वे संक्रमण फैला सकते हैं। यूज किए गए सेनिटरी पैड को अच्‍छी तरह रैप करके फेंकना चाहिए। भूलकर भी उसे फ्लश में न डालें।
अब इन दिनों के लिए बाजार में कई तरह के  पैड उपलब्ध है।
इन दिनों महिलाएं मेन्‍स्‍ट्रुअल  कप का इस्तेमाल कर रही है। जो कि पैड से ज्यादा सुरक्षित और ह्यजेनिक है। बस जरूरत है इनके बारे में उचित जानकारी हो।

मासिक धर्म एक प्राकर्तिक क्रिया है इसके बारे में बात कीजिये,अपने बच्चो से फिर वो लड़का हो या लड़की। शरीर मे बदलाव दोनो के एक उम्र के बाद होते है। दोनो को एक दूसरे के इन बदलावों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। इन बदलावों की जानकारी घरों में सबके सामने बात कर करनी चाहिए।
अब वक्त के साथ उस सोच को बदलना ही होगा कि इन दिनों लड़की अशुद्ध होती है ,या पीरियड्स की बात खुलके नही करनी चाहिए। सिर्फ औरतों के बीच हो,मर्दों के सामने इन दिनों न आये ,उनसे दूरी बनाए और भी बहुत।

अब समय के साथ पीरियड्स शुरू होने की उम्र भी कम होती जा रही है, इसके कई कारण है । 
13 -14 के उम्र में होने वाले शारीरिक बदलाव 5 या 6 साल में देखने मिल रहे है। आपके घर के माहौल, बच्चो के प्रति व्यवहार,उनके लिए वक़्त, उनके खानपान सब इसके लिए जिम्मेदार है। एक बच्चा कब कितनी जल्दी प्रौढ़ हो जाता है ये माता पिता को बहुत देर से समझ आता है।खैर।

मुद्दा ये है कि इस विषय पे आज भी उतनी खुल के बात नही होती जितनी होनी चाहिए।

जिम्मेदार लोगों का ये फ़र्ज़ बनता है कि अपने समाज के बच्चो के लिए भी वक़्त निकाले उन से उनकी बात करे ,उनको जानकारी दे। जो जानकारी आपको नही है उनके पास है तो आप भी उनसे साझा करें।

इन दिनों मेरे संपर्क से मुझे ये देखने मिला कि  पीरियड्स में मेन्‍स्‍ट्रुअल  कप्स के इस्तमाल की जानकारी हमउम्र महिलाओं को भी नही है।
उनसे जब मैंने पूछा कि कौन यूज़ करता है,सब चुप थी।
 एक ने डरते हुए पूछा ये क्या है?
 जब हमने कप्स की जानकारी दी तो वो आश्चर्य चकित थी। 
फिर दूसरी महिला बोली मैंने नाम सुना था पर ज्यादा ध्यान नही दिया।
फिर जब हमने उनको इसके बारे में सब बताया तो बोली   ,देखते है । मित्र ने  यूज़ करने के बाद बोल ये तो बड़ा ही सरल है। डर पहली बार लगा ,अब आदत हो गयी है ।

संवाद करना जरूरी है ,फिर चाहे महिला हो या पुरुष। ये संवाद घरों से शुरू हो तो आने वाली पीढ़ियों के आधे मसले ठीक हो जाएंगे। 
 सारा खेल दुनिया का औरत और उसके शरीर पे निर्भर करता है।
28/5 कितना जरूरी है सोचिए।   
                                       लेखिका सुश्री स्नेहा चौहान स्वतंत्र पत्रकारिता करती हैैं


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