तो अक्सर अजय भाई किताबें लेकर आते हैं.. पर आज मामला कुछ और था, हमारा आपसी वादा था कि किसी दिन वह संवाद करने आएंगे। उन्होंने वादा निभाया और निश्चित समय पर आ भी गए।
विमर्श प्रारंभ हुआ फटी हुई जींस, भारतीय संस्कृति, और डासना मंदिर पर भी चर्चा हुई। इसी क्रम में जब अंग्रेजों ने भारत को सांप सपेरा का देश कहने के बिंदु पर चर्चा हो हुई तो बहुत मुखर होकर इस विचारक ने कहा-" यह तो भारतीय ज्ञान-विज्ञान की पराकाष्ठा है, कि एक गली-गली घूमने वाला व्यक्ति पिटारी में सांप को लेकर अपने साथ न केवल घूम रहा है बल्कि उसके साथ जीवन भी व्यतीत कर लेता है ।"
उन्होंने आगे कहा-" एक व्यक्ति स्टेथ स्कोप की तरह सांप को अपनी गले में लपेट कर घूमता है। उससे बड़ा परम ज्ञानी महा विज्ञानी और कौन हो सकता है..?"
विज्ञान के इस दौर में सांप के साथ रहना सच में असंभव है। सांप सपेरों के देश में जीवों का मनोविज्ञान और उसके साथ रहने का विज्ञान का किसी और देश में असंभव है ।
मित्रों, हम सांप के साथ रहने के लिए भी योग्य है जो बिल्कुल विपरीत प्रकृति का है। आपको यह बात अच्छी लगी तो दोस्तों में शेयर अवश्य कीजिए इस देश की परंपराओं का सतत सम्मान कीजिए।