24.1.21

नेता जी क्यों महान हैं..?

महात्मा गांधी ने जिनके बारे में कहा था - वे देशभक्तों के देशभक्त हैं ।
 तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा,  दिल्ली चलो कदम कदम बढ़ाए जा, जय हिंद, इन शब्दों के जरिए नेता जी को हम पहचानते हैं। राष्ट्रवादी इतिहासकार डॉ आनंद राणा  के अनुसार  नेताजी चार बार नेता जी का जबलपुर आगमन हुआ था।
 नेताजी गीता और महाभारत कथा के मिश्रित वर्जन थे। नेताजी के बारे में कहा जाता है कि वे हिटलर से मिले थे इतिहास भी यही है। परंतु आपने हमने कोई ऐसा शब्द भी नहीं पढ़ा जिसमें उन्होंने हिटलर के नैरेटिव  का जिक्र किया हो या उसे स्वीकार हो या फिर लेश मात्र भी सहमति व्यक्त की गई हो..!
  नेताजी की फैमिली से शादी भारतीय वैदिक परंपरा और रिचुअल्स के साथ संपन्न हुई। कई  विवरणों को पढ़कर पता चलता है कि- अपने विवाह के दौरान वे एमिली शेंगल के समक्ष भारतीय संस्कृति विवाह संस्था रिचुअल्स के महत्व का विश्लेषण और आवश्यकता पर प्रकाश डालते रहे। नेता जी महान क्यों है यह एक सवाल मेरे जिस्म में मौजूद मस्तिष्क में निरंतर सांय सांय होता है। अनुज धर ने नेताजी के व्यक्तित्व को बखूबी उभारते हुए स्पष्ट किया है कि- नेताजी अपने आप को आजादी के बाद नेता जी ने अपने जीवन को लगभग गुमशुदा कर लिया था। *इंडियाज मोस्ट कवर अप* के लेखक अनुज धर का मानना है कि भगवन उर्फ गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे । 
   इसके संबंध में उन्होंने इस बहस  से पर्दा हटा दिया  कि गुमनामी बाबा की हैंडराइटिंग पूरी तरह से नेताजी की हैंडराइटिंग से मिलती है। 
  अगर ऐसी बात है तो बेशक भारत का सबसे महान नेता का रुतबा नेताजी सुभाष चंद्र जी कोही दिया जाना चाहिए।
भारतीय राजनीति में ऐसे कम ही लोग हुए हैं जिन्होंने प्रयोगवादी होने का आरोप अपने सिर पर नहीं लिया है। वास्तव में इस श्रेणी में मेरे हिसाब से दो ही व्यक्ति रखे जा सकते हैं एक सरदार बल्लभ भाई पटेल और दूसरे नेताजी सुभाष चंद्र बोस।
मित्रों और सुधि पाठकों हम मस्तिष्क धारी हैं चिंतन भी करते हैं हमारे पास शब्द भाव विश्लेषण सब कुछ है तो विमर्श भी होगा और विमर्श में सहमति या असहमति सब कुछ संभव है।
चलिए तो वापस चलते हैं नेताजी के महान होने के संदर्भ में एक टच और जानते हैं
" मेरे कार्यालय में मेरी सहकर्मी के माता और पिता दोनों ही आजाद हिंद फौज में सेनानी थे। उन्होंने बताया कि माता-पिता अक्सर नेताजी की सहृदयता के बारे में चर्चा करते हुए सुनाई देते थे। वह अवश्य समझाते थे कि आजादी के लिए बलिदानी होना जरूरी है परंतु किसी को भूखा या बीमार देखकर नेताजी बेचैन हो जाते थे। श्रीमती अय्यर की मां के पैर में जहाज का एक कीला घुस गया था नेता जी ने स्वयं अपने हाथों से श्रीमती अय्यर के जख्म पर फर्स्ट ऐड किया और उस वक्त भी बेहद भावुक थे।
  60 हजार सैनिकों के लाव लश्कर वाली आईएनए  24000 के आसपास सैनिकों का शहीद हो जाना उनके हृदय को छलनी कर रहा था वे बहुत दुखी हो जाते थे उन शहीदों को याद करते हुए ।
शत शत नमन नेताजी एक बार फिर से जन्म लोग भारत में

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

जय हिन्द 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

Wow.....New

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