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बुधवार, जनवरी 20, 2021

कश्मीर 19 जनवरी 1990

 

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है , 14वी शताब्दी से  लगातार इस कश्मीर एक आतंक के साए जीने के लिए मजबूर था ।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया ।
  और यह धारा 35 स्थाई प्रबंध था और इसका अंत कश्मीर की वादियों में चुभन भरी हवा से मुक्ति के लिए किया गया। नई  व्यवस्था लागू होने के साथ भारत के कश्मीरी पंडितों के साथ आधा न्याय मिल गया। भारत के सभी हिस्से में बदलाव की जरूरत थी । बदलाव हुआ और इस बदलाव में कश्मीरी पंडितों को अपनी जन्मभूमि में वापिस पहुंचने उस पर माथा टेकने का एक मौका मिलने की उम्मीद बढ़ती जा रही है। किंतु परिस्थितियां अभी भी बहुत अनुकूल नहीं कि कहीं जा सकती इसी विषय पर मीनाक्षी रैना कश्मीर से निकलकर कनाडा में जा बसी लेखिका की अभिव्यक्ति के आधार पर यह वीडियो तैयार किया है उम्मीद है कि आप भी सम्मिलित होंगे और वैश्विक स्तर पर इस बात की नहीं छोड़ेंगे कि कश्मीर पर हिंदू पंडितों पर कितने अत्याचार हुए हैं और उसे उनके मानव अधिकार से जोड़कर सबसे पहले देखना चाहिए। एक जन की तरह है ना केवल 19 जनवरी को बल्कि निरंतर भारत के पक्ष को सर्वव्यापी बनाना भारत के नागरिकों और प्रवासी भारतीयों की जिम्मेदारी है। मित्रों इस आर्टिकल को और ऊपर दिए वीडियो को जरूर देखिए सुनिए समझ ही और एक नैरेटिव बनाइए ताकि ब्रिटेन की संसद जैसी संस्थाओं में भारत के खिलाफ कोई भी फिरंगी नेगेटिव वातावरण निर्मित ना कर पाए।
आरती टिक्कू को सुनिए यूट्यूब के डिफेंसिव ऑफेंस में
https://youtu.be/CNl3WRCa8OA

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