जीवन एक मृत्यु पथ है.. और तुम मृत्युंजय नहीं हो
तुम मैं हम सब उधर ही जा रहें हैं जहां अंतिम सत्य प्रतीक्षा कर रहा है.. अहर्निश चलते चलो रुको मत घबराओ मत जीत लो समय को कहते हैं कि समय बलवान है बलवान से लड़ो परास्त करो उसे उस पर हावी रहो जो कहना है खुल के कहो... जो करना है खुल के करो ... प्रेम करो ....... सब प्रेम चाहते हैं.. दुश्मन से भी ........ उसे मारो मत ..... क्योंकि वो भी # मृत्यु _ पथचारी है तुम्हारी तरह ... चलो उठो ........ मृत्यु एक नायिका है.. अभिसारिका सी प्रतीक्षारत है...यह मिलन देवताओं को भी नसीब कहाँ ? जन्म से उससे मिलन पलों के बीच बहुत ही ज़रा सा समय मिला है.. आनंद में बिता दो ... ! आनंद मिलेगा किन्नर अपाहिज , कमजोर , को सम्मान देने में. आनंद मिलेगा शरसेज पर लेटने में .. झूठ नहीं सत्य है. अद्वैत में एक है दूजा कोई नहीं तो वो अछूत ये विशुद्ध कैसा ? वो दलित क्यों ? प्राण ही है न तुम शरीर के सेवक मत बनो तुम प्राणों के दास बनो दास बनाना बुरा नहीं दास बनाना बुरा है । दास बनाके स्वामित्व का बोध होता है तुमको स्वामित्व सत्ता का एहसास कराता है सत्ता हिंसा के मार्ग का दर्शन कराती है । हिंसक मत बनो ऐ