निराला जी की पुण्यतिथि पर विनम्र शब्द श्रद्धांजली
सभी अपने खंड में हैं !
कुछेक तो पाखंड में हैं !!
सभी की अपनी है हाला
सभी का अपना है प्याला !
कौन होगा अब निराला ?
एक अक्खड़ सादगी थे ।
विषमता के पारखी थे ।।
निगलते तो निगल लो -
कष्ट का सूखा निवाला ।।
कौन होगा अब निराला ?
वो गुलाबी झड़प उनकी
याद है न तड़प उनकी ?
शब्द के हथियार लेकर
मोरचा कैसे सम्हाला !!
कौन होगा अब निराला ?
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*