राम धई, राम कसम, अल्ला कसम, रब दी सौं, तेरी कसम, मां कसम,पापा कसम, आदि कसमें भारत का लोकप्रिय खाद्य पदार्थ हैं. इनके खाने से मानव प्रजाति को बहुत कुछ हासिल होता है. चिकित्सालय में डाक्टर बीमारी के लिये ये खाना वो मत खाना जैसी सलाह खूब देते हैं पर किसी चिकित्सक ने कसम नामक खाद्य-पदार्थ के सेवन पर कभी एतराज़ नहीं जताया. न तो किसी वैद्य ने न हक़ीम ने, इस से इस बात की तस्दीक होती है कि कसम कितनी भी मात्रा में खाएं नुकसान न होगा.
इसी क्रम में बता दूं कि- फ़ुटपाथ पे ज़वानी बचाए रखने वाली दवा बेचने वाले भाईयों मर्दानगी की कसम खा खा बहुतेरों की खोई हुई जवानी वापस लाने का दावा किया किसी भी माई के लाल ने उस दावे को खारिज नहीं करने की कोशिश नहीं की . यानी कुल मिला कर क़सम किसी प्रकार से नुक़सान देह नहीं डाक्टरी नज़रिये से.
फ़िल्मी अदालतों में कसम खिलावाई जातीं हैं. अदालतों में खिलवाई जाती है . हम नौकरी पेशा लोगों से सेवा पुस्तिका में कसम की एंट्री कराई जाती है. और तो और संसद, विधान सभाओं , मंत्री पदों अन्य सभी पदों पर चिपकने से पेश्तर इसको खाना ज़रूरी है.
कसम से फ़िलम वालों को भी कोई गुरेज़ नहीं वे भी तीसरी कसम, कसम सौगंध, सौगंध गंगा मैया के ..., बना चुके हैं. गानों की मत पूछिये कसम का स्तेमाल खूब किया है गीतकारों ने. भी.
इसी क्रम में बता दूं कि- फ़ुटपाथ पे ज़वानी बचाए रखने वाली दवा बेचने वाले भाईयों मर्दानगी की कसम खा खा बहुतेरों की खोई हुई जवानी वापस लाने का दावा किया किसी भी माई के लाल ने उस दावे को खारिज नहीं करने की कोशिश नहीं की . यानी कुल मिला कर क़सम किसी प्रकार से नुक़सान देह नहीं डाक्टरी नज़रिये से.
फ़िल्मी अदालतों में कसम खिलावाई जातीं हैं. अदालतों में खिलवाई जाती है . हम नौकरी पेशा लोगों से सेवा पुस्तिका में कसम की एंट्री कराई जाती है. और तो और संसद, विधान सभाओं , मंत्री पदों अन्य सभी पदों पर चिपकने से पेश्तर इसको खाना ज़रूरी है.
कसम से फ़िलम वालों को भी कोई गुरेज़ नहीं वे भी तीसरी कसम, कसम सौगंध, सौगंध गंगा मैया के ..., बना चुके हैं. गानों की मत पूछिये कसम का स्तेमाल खूब किया है गीतकारों ने. भी.
मान लीजिये कभी ये राम धई, राम कसम, अल्ला कसम, रब दी सौं, तेरी कसम, मां कसम, जैसी जिन्सें आकार ले लें और ऊगने लगें तो सरकार कृषि विभाग की तर्ज़ पर "कसम-विभाग" की स्थापना करेगी बाक़ायदा . सरकार ऐसा इस लिये करेगी क्योंकि - यही एक खाद्य-पदार्थ है जो सुपाच्य है. इसे खाने से कब्ज़ जैसी बीमारी होना तो दूर खाद्य-जनित अथवा अत्यधिक सेवन से उपजी बीमारियां कदापि न तो अब तक किसी को हुई है न इन के जिंस में बदल जाने के बाद किसी को हो सकती है. चिकित्सा विज्ञान ने तो इस पर अनुसंधान भी आरंभ कर दिये हैं. बाक़ायदा कसम-मंत्रियों का पद भी ईज़ाद होगा. इसके लिये विधेयक संसद में लाया जावेगा.
पैट्रोल-डीज़ल-गैस की तरह इनकी कीमतों में बदलाव जब जी चाहे सरकार कर सकती है.
पैट्रोल-डीज़ल-गैस की तरह इनकी कीमतों में बदलाव जब जी चाहे सरकार कर सकती है.
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनको कसम खाना भी नहीं आता दिल्ली वाले फ़ेसबुक स्टार
कारस्तानी कुछ बेशर्मों की
शर्मसार है पूरा इंडिया,
अपने में मग्न बेखबर हो ?
वीणा-तार झनकाऊं कैसे ?
अपने में मग्न बेखबर हो ?
वीणा-तार झनकाऊं कैसे ?
सौगंध राम की खाऊं कैसे..?
इस तरह की लाचारी उनकी होगी जैसे कि हमारे मुहल्ले के पार्षद जी राम-रहीम की कसम खाने में *सिद्धमुख हैं हालांकि अब वे हनीप्रीत वाले राम-रहीम की वज़ह से डरे हुए हैं . इस मामले में वे पूरे सैक्यूलर नज़र आते हैं आप समझ गए न कसम क्यों खाई जाती है.. कसम भी सेक्यूलर होती है.. ये तय है.. कभी कभी नहीं भी होती.
खैर ये जब होगा तब सोचिये अभी तो इससे होने वाले लाभों पर एक नज़रफ़ेरी कर ली जाए
1. सच्ची-कसमें- ये तो केवल झुमरी तलैया वालों ने खाई थी . हमेशा फरमाइश करते रहने की . इस प्रकार की कस्में अब दुनियां के बाज़ार से लापतागंज की ओर चलीं गईं हैं. लापतागंज है कहां हमको नहीं मालूम.. इत्ता ज़रूर पता है कि = झुमरी तलैया के रेडियो प्रेमी श्रोता विविध भारती के फरमाइशी कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा चिट्ठियां लिखने के लिए जाने जाते हैं।" वैसे ही लापतागंज जहां भी है है तो ज़रूर .... वहां सच्ची कसमें मौज़ूद हैं
2. झूठी कसमें :- ये हर जगह मौजूद हैं आप के पास भी.. मेरे पास भी .. इसे खाईये और अच्छे से अच्छा मामला सुलटाइये. सच मानिये इसे खाकर आप जनता को पटाकर आम आदमी (केजरी चच्चा वाला नहीं ) से खास बन सकते हैं. याद होगा श्री 420 वाले राजकपूर साहब ने मंजन इसी प्रकार की कसम खाकर बेचा था. आज़कल भी व्यापारिक कम्पनियां राजू की स्टाइल में पने अपने प्रोडक्ट बेच रहीं हैं. क्या नेता क्या अफ़सर क्या मंत्री क्या संत्री अधिकांश के पेट इसी से भरते हैं . खबरिया बनाम जबरिया चैनल्स की तो महिमा अपरम्पार है कहते हैं .. हमारी खबर सबसे सच्ची है.. ! देश का बच्चा बच्चा जानता है कि सच क्या है .
3. सेक्यूलर कसम :- इस बारे में ज़्यादा कुछ न कहूंगा. हम बोलेगा तो बोलेगे कि बोलता है.
4. दाम्पत्य कसम :- जो शादी-नामक भयंकर घटना के दौरान खाई जाती है वो सात हैं . बाद में पति पत्नी एक दूसरे के सामने जो कसमें खाते हैं वे सभी सात कसमों से इतर होतीं हैं.. .इस तरह की कसम पतिदेव को ज़्यादा मात्रा में खानी होती है. पत्नी को दाम्पत्य कसम कभी कभार खानी होती है .
5. इन लव कसम :- यह कसम यूं तो विवाह जोग होने के बाद आई एम इन लव की स्थिति में खाना चाहिये परंतु ऐसी कसम आजकल नन्हीं पौध तक खा रही है. एकता कपूर जी की कसम आने वाले समय में बच्चे ऐसी कसमें पालनें में खाएंगे.
6. सियासी-कसम :- सियासी कसम के बारे में भगवान कसम कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा ...!! इस कसम पर बोलने से पेश्तर बहुत कुछ सोचता हूँ.
जो भी हो हम तो कसम के प्रकार बता रहे थे भगवान कसम भाववेश में कुछ ज़्यादा ही कह गए. माफ़ी हो. मुद्दे की बात ये है कि जो भी आजकल कसम खा रहा नज़र आए तो समझिये वो झूठा है. सच्ची वाली कसमें तो लापतागंज चलीं गईं. परन्तु एक बात साफ़ तौर पर साफ़ है कि – भारत का सर्वप्रिय यानी सर्वाधिक खाया जाने वाला खाद्य पदार्थ कसम ही तो है .. है न हजूर