*बुद्ध कब मुस्कुराओगे*
बाना अलाबेद बुद्ध कब मुस्कुराओगे तथागत सुना है गुना भी है जब मुस्कुराते हो तब कुछ न कुछ बदलता है * सीरिया की बाना अलाबेद ने* बम न गिराने को कहा है अब फिर मुस्कुराओ बताओ बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं गाना गाना चाहते हैं *इशिता* की मानिंद लिखना चाहतें हैं *बीनश* की तरह क्रिएटिव अब बम न गिराओ हमारी किलकारियां उनके बम से ज़्यादा असरदार है वो जो धर्म हैं वो जो पंथ हैं वो जो सरकार हैं जी हाँ किलकारियां उन सबकी आवाज़ से ज़्यादा असरदार हैं बुद्ध अब तो मुस्कुराओ एक शान्तिगीत गाओ * गिरीश बिल्लोरे मुकुल*