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मंगलवार, नवंबर 01, 2016

सिमी आतंकवादी की गोली से शहीद हुए पिता श्री रविशंकर पारे के पुत्र के ज़ख्म हरे हुए



स्वर्गीय श्री रविशंकर जी पारे
नार्मदीय ब्राह्मण समाज के  नांदवा त. टिमरनी जिला हरदा के मूल निवासी  स्वर्गीय श्री रविशंकर जी पारे की खण्डवा में हत्या इन्हीं 8 गुनाहगारों में से 03 ने 28/11/2009  में खंडवा जेल से भागते समय की थी ।  श्री पारे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कार्यरत थे. जब वे सामाजिक मीटिंग में जा  रहे थे तब इन आतंकियों नें उनकी बाईक छीनने की गरज से सीने को छलनी किया बाईक छीनी और भाग खड़े हुए.  
29 नवम्बर 2009 को श्री पारे के अंतिम संस्कार  में श्री शिवराज सिंह जी ,  श्री विजय शाह जी ,  श्रीमति रंजना बघेल श्री उमाशंकर गुप्ता, श्री नन्द कुमार चौहान, प्रदेश के  DGP और  खंडवा के सभी विधायक . सी एम साहब ने कहा था ... मैं पारे साहब के बलिदान को खाली न जाने दूंगा. उनके बेटे अंकित को सरकारी नौकरी और स्व. पारे जी को शहीद का दर्ज़ा ...... दिलाऊँगा..
बाद में  श्रीमती पारे को उसी  बैंक में अनुकम्पा नियुक्ति स्वरुप   क्लर्क शिप मिली जो बच्चों क्रमश: अंकित और अक्षय की शिक्षा दीक्षा का एक आधार बना. परन्तु शहीद का दर्ज़ा न मिलना  आज भी अंकित के ह्रदय की पीढा है. ये अंकित का सदगुण ही है जो बिना सवाल उठाए  आतंकियों के अंत के लिए मध्य प्रदेश पुलिस का आभारी है  
स्वर्गीय रविशंकर पारे जी के पुत्र अंकित का अनुरोध उन्हीं के शब्दों में  
                                       मेरा नाम अंकित रविशंकर पारे है । मेरे पिताजी को सिमी आतंकवादियों ने 28/11/2009 को गोली मारी थी।
मेरे पापा एक सिविलियन थे इस गोली काण्ड में 3 लोग शहीद हुए थे । उस समय CM शिवराज सिंह चौहान खुद आये थे और कई केंद्रीय और राज्य मंत्री आये थे । उन्होंने घोषणा की थी
रवि पारे जी को शहीद का दर्ज दिया जाएगा और मुझे सरकारी नौकरी दी जाएगी जो आज तक नहीं दी गयी मुझे मेरी नौकरी का गम नहीं पर स्वर्गीय पिता को शहीद का दर्ज़ा अवश्य मिले   ।  
मेरी समाज से उम्मीद है की वे आगे आएँगे और हमारी तकलीफ को समझेंगे । हमारा घर तो पूर्ण रूप से बर्बाद हो गया । पापा चले गए मम्मी की हालात बयां नहीं कर सकता . मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब हो गयी पूरी,क्या क्या दिन देखे हैं मैं ही जानता हूँ खून के आंसू रोए हैं हमने और पौंछे  भी हमने ही । सरकार से  मेरी विनती है की मेरे पापा का जीवन व्यर्थ नहीं जाना चाहिए उन्हें शहीद का दर्जा मिलना चाहिए  ।

 सिमी के धार्मिक आतंक के अगले शहीद  यानी प्रधान आरक्षक स्व श्री  रमाशंकर यादव के व्यक्तिव में अकूत जीवटता थी  आतंकियों द्वारा गला रेत  देना स्वयमेव प्रमाण पत्र है. ऐसे वीरों के हत्यारों को अगर हौले हौले भी मारा जाता है तो देश के किसी भी व्यक्ति को अपनी सरकार के खिलाफ आवाज़ नहीं उठानी चाहिए. हम देश के संविधान का मान करते हैं हमें हमारे संविधान पर गर्व है पर जो अकारण सवाल उठाते हैं उनको ताकीद है कि हमारे सैनिकों और सिविलियंस का हौसला कम न होने दें . जो देश के लिए कुर्बान हो जाते हैं .
यहाँ श्री मनिंदर सिंह बिट्टा जैसे लोग अधिक  बेहद प्रासंगिक हैं जो आतंक वाद की खुली मुखालफत करते हैं आइना दिखाते हैं ....  आज टी वी चैनल्स स्व इंदिरा जी को भूल इसी बात की पता साजी करने में मशगूल थे कि एनकाउंटर सही थी या फर्जी. कुछ तो फर्जी साबित करने तुले थे .. ये भी सच है कि वे इस कोशिश में जुटे भी रहेंगे. इस बीच कोई अंकित की आवाज़ बनेगा कि नहीं ये एक सवाल ज़रूर जेहनों में घूमता रहेगा...                  

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