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शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2015

सियासी हलकों में पूजने लगा है . दिया अदब का अब बुझने लगा है

सियासी हलकों में पुजने  लगा है .
दिया अदब का अब बुझने लगा है .
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कटा सर आया था तो चुप था वो, इक लफ्ज़ न बोला
वापस करने को  सितारों  से भरा  झोला न खोला...!
              भरोसा अपना जुगनुओं से उठने लगा है ..!!
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सैकड़ों पुलिस वाले मारे, मरे मज़लूम पटवारी
सुकमा में साबित हुए हो कई बार अपचारी....!
            तबका सोया हुआ तबका अब उठने लगा है ..!!
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तुम्हारी गोलबंदी अब न  चलेगी  जानते हो तुम
अपने हालात को अच्छी तरह पहचानते हो तुम ......!
            तुम्हारी हर हकीकत से जो पर्दा  उठने लगा है ..!!

                           @ गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”

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