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मंगलवार, मार्च 24, 2015

तो कैसे बनेंगी बेटियाँ स्त्रीशक्ति ? :- -रीता विश्वकर्मा


यहाँ पूर्व प्राप्त तीन संवादों पर अपनी टिप्पणी दे ही रहे थे कि इसी बीच उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में तीन लड़कियों की निर्मम हत्या काण्ड का समाचार मिलते ही मनःस्थिति असामान्य हो गई। यहाँ बता दें कि देवरिया जिले के बरहज थाना क्षेत्र में बीते शनिवार को एक साथ तीन लड़कियों के शव बरामद हुए थे। मृत लड़कियों की उम्र 18, 14 व 9 वर्ष थी। हालांकि इस तीहरे हत्याकाण्ड में संलिप्त दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, शेष दो की तलाश की जा रही है।
इस प्रकरण में बताया गया है कि उक्त तिहरे हत्याकाण्ड की मूल वजह मुख्य हत्यारोपी का एकतरफा प्यार बताई गई है। तीनों मृतक किशोरियाँ एक ही गाँव की रहने वाली सहेलियाँ थीं। बरहज क्षेत्र के ग्राम पैना के रहने वाले धीरज गौड़ नामक एक युवक के बुलाने पर गाँव के बाहर स्थित खोह नाले के पास गई थी, जहाँ चार दरिन्दों ने बेरहमी से उनकी गला रेतकर हत्या कर दिया। इस घटना का मुख्य हत्यारोपी सोनू हरिजन नामक एक युवक बताया गया है, जिसने होली के दिन 18 वर्षीया युवती को रंग लगाने की कोशिश किया था, जिसका उक्त किशोरी ने विरोध किया था। इसे लेकर सोनू के साथ उसकी काफी नोकझोंक भी हो गई थी। यह प्रकरण पूरे गाँव में चर्चा का विषय बन गया था, तभी से सोनू हरिजन बदले की आग में जल रहा था।
उक्त युवती की हत्या कर अपने साथियों की मदद से लाश ठिकाने लगाने की उसने ही योजना बनाई। 18 वर्षीया लड़की की हत्या के बाद घटना का राजफाश न हो इस लिए वहशी दरिन्दों द्वारा मृतका की दोनों सहेलियों की भी निर्मम हत्या कर दी गई। अवसाद की गहरी खाईं में गिरे दिलजले सोनू हरिजन नामक युवक ने जिस तरह से तिहरे हत्याकाण्ड की साजिश रची, पुलिस द्वारा उसका खुलासा होने का समाचार सुन/पढ़कर मन कसैला हो गया और मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे।
क्या ऐसे पुरूष प्रधान समाज में जहाँ छल, कपट, आज्ञानता और अवसाद के चलते लोग लड़कियों के साथ कुछ ऐसा ही बर्ताव करेंगे जो सदियों से चला आ रहा है, तब हम कैसे मान लें कि नारी का सशक्तिीकरण हो गया है। लोग बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसे नारे पर अमल करने लगे हैं। महिलाएँ जागरूक बन गई है, और निर्भया बनकर नारी शक्ती की मिशाल पेश करते हुए वीरांगना बनकर स्वयं की रक्षा कर सकती है?

मथुरा में बेटी पढ़ाओ के नाम पर पिता ने हाथ-पैर बांधकर पुत्री को पहुँचाया स्कूल

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तीकरण और  फिर स्त्री शक्ति, तेजस्विनी, निर्भया, वीरांगना आदि बनाने के लिए प्रयासरत सरकार और सरकारी नारा, साथ ही स्वयं सेवी संस्थाएँ। मीडिया की सभी विधाओं में हो रहा इसका तेजी से प्रचार-प्रसार। बावजूद इन सबके न तो समाज चेत रहा है, और न ही हम जागरूक हो रहें हैं। यह तो आम बात हो गई है कि बेटियों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले माता-पिता और अभिभावक अब भी पुरानी सदी की तरह ही रूढ़िवादी संस्कार युक्त माहौल में जी रहे हैं।
अधिकांश माँ-बाप ऐसे हैं, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन को अंगीकार करते हुए अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए तत्पर देखे जाते हैं। कुछ मामले ऐसे भी प्रकाश में आए हैं जिनमें माँ- बाप द्वारा स्कूल जाने से कतराने वाली अपनी बच्चियों को जबरिया स्कूल भेजने का अजीबो-गरीब तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसी तरह का एक मामला मथुरा में चर्चा का विषय बन गया है। इस चर्चित मामले का विवरण कुछ इस तरह हैं। गत 14 मार्च को थाना हाईवे क्षेत्र के सौंख रोड स्थित नगलामाना निवासी भगवत नामक एक पिता अपनी सात वर्षीया पुत्री पूनम को मोटर साइकिल पर रस्सी से बांधकर स्कूल ले गया था। पूनम पढ़ने से कतराती थी, और स्कूल जाने में आना-कानी करती थी। उसके पिता भगवत ने तब उसे उक्त तरीके से स्कूल भेजा था।
हालाँकि यह मामला महिला आयोग में गया था, जिसे बाद में पुलिस ने बाल संरक्षण अधिनियम की धाराओं में बदल दिया। मीडिया द्वारा हाथ-पैर बांधकर बेटी को मोटर साइकिल पर लादकर ले जाते हुए पिता भगवत की फोटो प्रकाशित की थी, जिससे थाना हाईवे पुलिस सक्रिय होकर एन.सी.आर. दर्ज कर भगवत को गिरफ्तार कर शान्तिभंग में चालान कर दिया था। थाने में आरोपी भगवत ने पुलिस को बताया था कि उसका मकसद सही था, लेकिन तरीका गलत था। वह अपनी बेटियों को अच्छी तालीम दिलाने के लिए फिक्रमन्द है।


-रीता विश्वकर्मा
सम्पादक
रेनबोन्यूज डॉट इन
8765552676

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