मित्रो दुनियां में केवल मुदिता शेष होगी.. मुदिता का अर्थ “प्रफ़ुल्लता के साथ जीवन जीना” ही तो है.. इस प्रफ़ुल्लता का अर्थ सदा ही रचनात्मकता की दिशा में उठता क़दम ही है. यही प्रफ़ुल्लता विश्व का कल्याण करने के लिये "महत्वपूर्ण-टूल" है. जो सांस्कृतिक रूप से पुष्टिकृत है. अर्थात इसे केवल दार्शिनिकों ने पुष्टिकृत किया हो ऐसा क़दापि नहीं हैं.आइये इसे अधिक विश्लेशित करें..
- प्रफ़ुल्लता कैसे लाएं जीवन में :- जीवन में प्रफ़ुल्लता का प्रवेश तब होता है जब हम आप निस्पृह होकर रहें. अन्य किसी के जीवन से स्पर्द्धा, तुलना, एवम गुण-अवगुण की समीक्षा का सीधा अर्थ है कि हम अपने मानस में "कुंठा" का बीजारोपण कर रहें हैं. जब हमारे मानसिक क्षेत्रफ़ल में कुंठा का विस्तार होता है तो बेशक अन्य किसी भाव के लिये स्थान शेष क़दापि मिलना असंभव है. अत: प्रफ़ुल्लता के लिये मानस-स्थल सदा खाली रखें और दुनियां को देखने का नज़रिया बदलें.
- प्रफ़ुल्लता के लिये सकारात्मक सोच को मानस में जगह दें :- अब आप कहेंगे कि मानस को रिक्त रखना हैं तो सकारात्मक सोच भी मानस में न रखी जाए.. न ऐसा नहीं हैं.. सकारात्मक सोच तरल तत्व सी होती है.. उसके कण कण में प्रफ़ुल्लता का संविलियन तुरंत संभव है. अगर आप कुंठित हैं तो प्रफ़ुल्ल रह ही न पाएंगें.
- प्रफ़ुल्लता मैत्री-भाव का आधार है :- कुंठा कभी भी मैत्रीभाव को स्थान नहीं दे पाती, जबकि प्रफ़ुल्लता सदा मैत्रीभाव को मज़बूती देती है साथ ही मैत्री-भाव को आधार प्रदान करती है.
- प्रफ़ुल्लता से सृजन को बल मिलता है :- प्रफ़ुल्ल व्यक्ति सदा सृजन करता है. कुंठित व्यक्ति कभी सृजक हो ही नहीं सकता .
- प्रफ़ुल्लता से निर्माण तेज़ी से होता है :- प्रफ़ुल्ल व्यक्ति एवं समुदाय ने सदा ही श्रॆष्ठतम निर्माण किये हैं. भौतिक संरचनाओं में राम-सेतु, केदारनाथ, ताज़महल, के अलावा अभौतिक सामाजिक व्यवस्थाएं.. धर्म, सांस्कृतिक व्यवस्थाएं.. वेद, प्रजातंत्र.. यानी मूर्त अमूर्त... सब स्थाई सृजन सा होता है.
मित्रो मेरा ब्लाग "मिसफ़िट" 150062 पृष्ठदृश्य -एवं 984 पोस्ट के साथ आपके स्नेह से लगातार आगे आ रहा है... आभार