10.7.14

तब हर तरह से बोलेगा.. तुम्हारी हर पर्त आसानी से खोलेगा..!!


जो बोल रहा है उसे बोलने दो  ..
खुली अधखुली गठाने खोलने दो
सुनो खामोश होकर एक धैर्य से
उसे खामोश मत रहने दो
वरना एक दिन उसकी खामोशियां
 उसके अंतस में हौले हौले  गर्म होंगी..!
फ़िर खौलेंगी... और फ़िर बोलेंगी.......!!
कुछ ऐसा कि तुम कुछ बोल न पाओगे..
खामोशी का अनुनाद... झेल न पाओगे
 अपने खेल खेल न पाओगे..
वो मौन न रहे ध्यान रखो..
तब तुम पत्थर से रेत होकर
यक़ीनन बिखर जाओगे...!!
सच यही है जब वो बोलेगा
तब हर तरह से बोलेगा..
तुम्हारी हर पर्त आसानी से खोलेगा..!!

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