"आज से ब्लॉगिंग बन्द" का उदघोष कर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' जी ने एक बार फ़िर ब्लाग जगत में खलबली मचा दी . मसला मेरी दृष्टि में एक
तरह की मिसअंडर स्टैंडिंग है .. www.blogsetu.com को लेकर. जहां तक मेरा मानना है
शास्त्री जी ने हिंदी ब्लागिंग को वो सब दिया जो ज़रूरी था उनकी वज़ह से ही हिंदी
ब्लागिंग में कुछ नए नवेले प्रयोग हुए.. खटीमा सम्मेलन इस बात का सर्वोच्च उदाहरण
है. जिसमें वेबकास्टिंग को स्थान मिला.. और आगे गूगल को जिसे हैंगआउट के रूप में
सुविधा के रूप में सबको देना ही पड़ा .
वैसे इन दौनों महारथियों
के बारे में कुछ भी कहना सूरज भैया के सामने दीपक रखने वाला काम ही होगा. दौनो
महानुभाव योग्य ही नहीं सुयोग्य और क्षमतावान हैं.
ब्लाग सेतु के पूर्व से चर्चामंच पाठकों तक नि:स्वार्थ लिंक उपलब्ध कराने का काम कर रहा है. किंतु अचानक ब्लाग
जगत में हुए ऐसे विवाद से मन पीढ़ा से भर आया है. अच्छा होता कि बात केवल शास्त्री जी एवम केवल भाई के बीच निपट सुलझ जाती पर अब आगे बढ़ ही चुकी है तब तथ्य मुझे गहराई तक जाना ज़रूरी लगा. पतासाज़ी से जाना कि नवीन वेबसाइट होने से भाई केवलराम उस पर स्लो चलने के दबाव से बचना चाहते थे.. और उन्हौने सम्भवत: चर्चामंच को प्रयोग के तौर पर हटाया था.. इस वास्तविकता से उनको शास्त्री से दूरभाष पर चर्चा कर लेना था. या उनको इस प्रयोग कि जानकारी दे देनी थी ताकि वे केवलभाई के इस प्रयोग को अन्यथा न लेते .. शास्त्री जी आपसे भी बिना लाग लपेट के कहना चाहता हूं कि केवल भाई का कार्य आपके विरुद्ध न होकर एक प्रयोग मात्र था यही सच है.
शास्त्री जी नाराज़गी छोड़िये और केवलराम जी छोटे भाई के रूप में क्षमा मागिंये शास्त्री जी से कि तकनीकी समस्या की पड़ताल के लिये ऐसा प्रयोग किया.. था... !!
"क्षमा बड़न को चाहिये छोटन के उत्पात "