यह आलेख फ़ेसबुक के GreenYatra से सामुदायिक समझ को बढ़ाने के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है
आजकल नए बने ताज एक्सप्रेस वे पर रोजाना
गाड़ियों के टायर फटने के मामले सामने आ रहे हैं जिनमें रोजाना कई लोगों की जानें
जा रही हैं.एक दिन बैठे बैठे मन में प्रश्न उठा कि आखिर देश की सबसे आधुनिक सड़क
पर ही सबसे ज्यादा हादसे क्यूँ हो रहे हैं? और हादसों का तरीका भी केवल एक
ही वो भी टायर फटना ही मात्र, ऐसा कोन सी कीलें बिछा दीं
सड़क पर हाईवे बनाने वालों ने? दिमाग ठहरा खुराफाती सो सोचा
आज इसी बात का पता किया जाये. तो टीम जुट गई इसका पता लगाने में. अब सुनिए हमारे
प्रयोग के बारे में. मेरे पास तो इको फ्रेंडली हीरो जेट है सो इतनी हाई-फाई गाडी
को तो एक्सप्रेस वे अथोरिटी इजाजत देती नहीं सो हमारे एडमिन पेनल की दूसरी
कुराफाती हस्ती को मैंने बुला लिया उनके पास BMW X1 SUV है (ध्यान रहे असली मुद्दा टायर फटना है) सबसे पहले हमनें ठन्डे टायरों का
प्रेशर चेक किया और उसको अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ठीक किया जो कि 25
PSI है. (सभी विकसित देशों की कारों में यही हवा का दबाव रखा जाता
है जबकि हमारे देश में लोग इसके प्रति जागरूक ही नहीं हैं या फिर ईंधन बचाने के
लिए जरुरत से ज्यादा हवा टायर में भरवा लेते हैं जो की 35 से
45 PSI आम बात है).
खैर अब आगे चलते हैं.
इसके बाद ताज एक्सप्रेस वे पर हम नोएडा की तरफ से चढ़ गए और गाडी दोडा दी. गाडी की स्पीड हमनें 150 - 180 KM /H रखी. इस रफ़्तार पर गाडी को पोने दो घंटे दोड़ाने के बाद हम आगरा के पास पहुँच गए थे. आगरा से पहले ही रूककर हमने दोबारा टायर प्रेशर चेक किया तो यह चोंकाने वाला था. अब टायर प्रेशर था 52 PSI .अब प्रश्न उठता है की आखिर टायर प्रेशर इतना बढ़ा कैसे सो उसके लिए हमने थर्मोमीटर को टायर पर लगाया तो टायर का तापमान था 92 .5 डिग्री सेल्सियस. सारा राज अब खुल चुका था, कि टायरों के सड़क पर घर्षण से तथा ब्रेकों की रगड़ से पैदा हुई गर्मी से टायर के अन्दर की हवा फ़ैल गई जिससे टायर के अन्दर हवा का दबाव इतना अधिक बढ़ गया. चूँकि हमारे टायरों में हवा पहले ही अंतरिष्ट्रीय मानकों के अनुरूप थी सो वो फटने से बच गए. लेकिन जिन टायरों में हवा का दबाव पहले से ही अधिक (35 -45 PSI) होता है या जिन टायरों में कट लगे होते हैं उनके फटने की संभावना अत्यधिक होती है.
इसके बाद ताज एक्सप्रेस वे पर हम नोएडा की तरफ से चढ़ गए और गाडी दोडा दी. गाडी की स्पीड हमनें 150 - 180 KM /H रखी. इस रफ़्तार पर गाडी को पोने दो घंटे दोड़ाने के बाद हम आगरा के पास पहुँच गए थे. आगरा से पहले ही रूककर हमने दोबारा टायर प्रेशर चेक किया तो यह चोंकाने वाला था. अब टायर प्रेशर था 52 PSI .अब प्रश्न उठता है की आखिर टायर प्रेशर इतना बढ़ा कैसे सो उसके लिए हमने थर्मोमीटर को टायर पर लगाया तो टायर का तापमान था 92 .5 डिग्री सेल्सियस. सारा राज अब खुल चुका था, कि टायरों के सड़क पर घर्षण से तथा ब्रेकों की रगड़ से पैदा हुई गर्मी से टायर के अन्दर की हवा फ़ैल गई जिससे टायर के अन्दर हवा का दबाव इतना अधिक बढ़ गया. चूँकि हमारे टायरों में हवा पहले ही अंतरिष्ट्रीय मानकों के अनुरूप थी सो वो फटने से बच गए. लेकिन जिन टायरों में हवा का दबाव पहले से ही अधिक (35 -45 PSI) होता है या जिन टायरों में कट लगे होते हैं उनके फटने की संभावना अत्यधिक होती है.
अत : ताज एक्सप्रेस वे पर जाने से पहले अपने
टायरों का दबाव सही कर लें और सुरक्षित सफ़र का आनंद लें. मेरी एक्सप्रेस वे
अथोरिटी से भी ये विनती है के वो भी वाहन चालकों को जागरूक करें ताकि यह सफ़र अंतिम
सफ़र न बने.
आप सभी फेसबुक मित्रों से अनुरोध है कि इस पोस्ट
को अधिक से अधिक शेयर करें. चूँकि ऐसा करके आपने यदि एक जान भी बचा ली तो आपका
मनुष्य जन्म धन्य होगा |