28.6.13

पोतड़ों परफ्यूम के एड के लिए कवायद करते खबरिया चैनल !

FIRSTPOST.INDIA



यशभारत जबलपुर
इस रविवार
३० 
भारतीय पत्रकारिता को आहत करती पत्रकारिता के बारे में  आज कुछ कहना मेरे लिए सम्भव नहीं था वो सब कुछ इस तस्वीर ने कह दिया है. फिर भी आप समझ ही चुके होंगे कि- वास्तव में "बाढ़ भी एक उत्पाद है"  जिसे खबरिया चैनल रोकड़ के रूप में बदल देना चाहते हैं फ़र्स्ट इंडिया डाट कॉम ने खुलासा करके सब के सामने यह सच  उजागार किया. है.   
                         कुछ लोगों ने मेरे पिछले आलेख को पूर्वाग्रह युक्त लेखन करार दिया था. परन्तु इस  सच को भी झुठलाना असम्भव है अब …. . ! FIRSTPOST.INDIA के http://www.firstpost.com/india/why-narain-pargains-camera-piece-in-dehradun-is-a-low-point-in-journalism-900525.html लिंक पर जाकर आप इसे देख सकते हैं हमारा मीडिया इतना बेसब्र और अधीर क्यों है.?
                                     आप जब इस पर विचार करेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा की पोतड़ों परफ्यूम के एड के लिए इन संवादाताओं को वैताल तक बन जाने से गुरेज़ नही आप समझ गए न की न तो वैताल मरेगा न ही विक्रम के सर के टुकडे-टुकडे  होगे . कथा सतत जारी रहेगी अगले मुद्दे तक. अगला मुद्दा मिलते ही लपक लिया जावेगा. इन वैतालों के सहारे आपके दिलो-दिमाग पर हमले जारी रहेगे। आप दर्शक हैं आपके पास दिमाग है आप समझदार हैं   अत: आप दृश्यों से अप्रभावित रहने की कोशिश कीजिये आपके   नज़रिए को  बदने की बलात कोशिश करते हों . 
       आज का दौर देखने दिखाने का दौर है.पर विक्रम यानी आम जनता  पर सवार  ये वैताल क्या दिखाना चाह रहा है ये तो वही जाने हमको तो बस इतना समझना होगा कि - हम पर इसका कहीं नकारात्मक असर तो नहीं हो रहा ?

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