
संजय-समझ तो आया आया भाई साहब किंतु , मैं क्या करुँ पापी पेट रोटी का सवाल है जो गोल-गोल तभी फूलतीं हैं जब मैं अपने घर तनखा लेकर आता हूँ…..!
वो-तो ठीक है ऐसा करो भइयाजी,मेरी इन-इन उपलब्धियों को प्रकाशित कर दो अपने लीडिंग अखबार में !
फ़िर उसने अपनी उपलब्धियां गिनाईं जिन्हैं सार्वजनिक करने से कल तक शर्माते था . उसकी बात सुन कर संजय ने कहा भैयाजी,आपको इन सब काम का वेतन मिलता है ,कोई अनोखी बात कहो जो तुमने सरकारी नौकर होकर कभी की हो ?
वो -अनोखी बात…….?
संजय ने पूछा -अरे हाँ, जिस बात को लेकर आपको सरकार ने कोई इनाम वजीफा,तमगा वगैरा दिया हो….?
वो -तमगा ईनाम सबसे दूर मैं अर्र याद आया भाई,मेरी प्लान की हुई योजनाओं को सरकार ने लागू किया
संजय:-इस बात का प्रमाण,है कोई !
वो:-……………..?
संजय ने जोर देकर पूछा -बोलो जी कोई प्रमाण है ?नहीं न तो फ़िर क्या करुँ , कैसे आपकी तारीफ़ छापूं भैया जी न
वो- संजय तारीफ़ मत छापो मुझे सचाई उजागर करने दो आप मेरा वर्जन ले लो जी ये सम्भव नहीं है,मित्र,आप ऐसा करो कोई ज़बरदस्त काम करो फ़िर मैं आपके काम को प्राथमिकता से छाप दूंगा जबरदस्त काम …..?
संजय-अरे भाई,कुत्ता आदमीं को काटता है कुत्ते की आदत है,ये कोई ख़बर है क्या ?,मित्र जब आदमी कुत्ते को काटे तो ख़बर बनातीं है .तुम ऐसा ही कुछ कर डालो यह घटना मेरे जीवन की अनोखी घटना थी जीवन का यही टर्निंग पाइंट था वह घायल आदमी निकल पडा कुत्तों की तलाश में . पग पग पर कुत्ते ही मिले थे उसको सोच भी रहा था.. सोच काट लूं साले कुत्तों को और खबर बन जाऊं..!
किंतु कोई उसके मन को बार बार सिर्फ़ एक ही बात कह रहा था "भई तुम तो आदमीयत मत तजो ! वो कौन था जो उसे यह सिखा रहा है बेचारा उसी की तलाश में है.