न्यू-मीडिया के लिये जबलपुर वाले डा० विजय तिवारी किसलय जी जिनके ब्लाग
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर पर आपकी आवाजाही अक्सर होती होगी उनकी आमद महत्व पूर्ण क्यों न हो किसलय जी हैं ही असीम-प्रतिभा के धनी. वे लगातार गतिशील रहतें हैं अगर शहर में कोई साहित्यिक घटना हुई है अथवा होगी तो विजय जी का साक्ष्य आप आसानी से ले सकते हैं अगर वे किसी गम्भीर किस्म की व्यस्तता में न हुए तो.
न्यू-मीडिया पर हिंदी की समृद्धि के लिये जबलपुर से समीरलाल के बाद अगर किसी का नाम लिया जाना है तो किसलय जी का नाम अवश्य लीजिये. ये तो उस बंदे का ब्लाग बना के ही छोड़ते हैं ये अलग बात है कि लोग प्रमाद-वश अथवा वैयक्तिक व्यस्तताओं के कारण की-बोर्ड के ज़रिये लेखन नहीं कर पाते.
इन से मेरा एक बड़ा अनोखा नाता है. जीजा साले का तो अक्सर मैं इनको तनाव देने से बाज़ नही आता... आऊं भी क्यों इनको परेशान करके मैं ये साबित कर देना चाहता हूं कि "सुमन दीदी के भाई दमदार हैं... हा हा हा ...!!
पिछले बरस तो जीजू इत्ते नाराज़ थे कि मुझे छोड़ सबको अपने हैप्पी वाले जन्म-दिन में बुलाया.. पर कहतें हैं न घुटना घुटने की तरफ़ ही तो मुड़ता है.. सारी दुनियां देख आए गले से लगा लिया अपने बदमाश साले को....
इन से मेरा एक बड़ा अनोखा नाता है. जीजा साले का तो अक्सर मैं इनको तनाव देने से बाज़ नही आता... आऊं भी क्यों इनको परेशान करके मैं ये साबित कर देना चाहता हूं कि "सुमन दीदी के भाई दमदार हैं... हा हा हा ...!!
पिछले बरस तो जीजू इत्ते नाराज़ थे कि मुझे छोड़ सबको अपने हैप्पी वाले जन्म-दिन में बुलाया.. पर कहतें हैं न घुटना घुटने की तरफ़ ही तो मुड़ता है.. सारी दुनियां देख आए गले से लगा लिया अपने बदमाश साले को....
5 फ़रवरी 1958 को जन्में डा. तिवारी के गीत छांदिक-दोष हीन गीत होते हैं. व्याकरण का विषेश ध्यान रखने वाले कुछेक गीतकारों की सूची में इनका नाम भी शुमार है. छंद के ज्ञाता किसलय जी का गद्य लेखन में साफ़ सुथरा विज़न स्पष्ट होता है. वे प्रभाव पूर्ण प्रवाहमयी भाषा का बड़ी चतुराई से अनुप्रयोग कर लेते है .
तभी तो उनकी गद्य-पद्य में समान आधिकारिता प्रशंसनीय है.
मां नर्मदा के प्रति अगाध भक्ति की बानगी मिलेगी इस नवीनतम एलबम में
इस एलबम का रहस्य ये है कि इसे मां नर्मदा ने जिससे चाहा केवल उन्ही का सहयोग दिलाया मां रेवा के स्तुति गान में अब तक की श्रेष्ठतम रचनाओं के नज़दीक ला खड़ा कर दिया कवि किसलय को आप सुनकर अंदाज़ लगा सकतें हैं. आने वाले समय में आप इस बात का एहसास कर भी लेंगे....
खुद का परिचय कैसे दे रहे है किसलय जी ज़रा देंखें तो :-
1. पूरा नाम: विजय तिवारी “किसलय”
2 जन्म तिथि : 5 फरवरी 19583. शिक्षा : एम. ए. (समाज शास्त्र ), भारतीय विद्या भवन मुंबई से पी. जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज़्म, इले. होम्योपैथी स्नातक, कंप्यूटर की बेसिक शिक्षा.
4. संप्रति: म. प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमि. जबलपुर के वित्त एवं लेखा.
5. दशकों से आकाशवाणी एवं टी. वी. चेनलों पर लगातार प्रसारण. एवं काव्य गोष्ठियों का संचालन.
6. कहानी पाठ तथा समीक्षा गोष्ठियों का आयोजन करने वाली संस्था ‘कहानी मंच जबलपुर’ के संस्थापक सदस्य. साथ ही पाँच वर्ष तक लगातार पढ़ी गयीं कहानियों के 5 वार्षिक संकलनों के प्रकाशन का सहदायित्व निर्वहन.
7. मध्य प्रदेश लेखक संघ जबलपुर के संस्थापक सदस्य.
8. विभिन्न ख्यातिलब्ध संस्थाओं के पदाधिकारी एवं सक्रिय सदस्य.
9. जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार स्व. हीरा लाल गुप्त की स्मृति एवं पत्रकारिता सम्मान समारोह का सन 1997 से लगातार आयोजन.
10. स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय लगभग दो दर्जन पुस्तकों की समीक्षा.
11. विभिन्न एकल, अनियमित तथा नियमित पत्रिकाओं का संपादन.
12. साहित्यिक गोष्ठियों में सहभागिता एवं संचालन.
13. अंतरराष्ट्रीय अंतराजाल (इंटरनेट) के ब्लागरों में सम्मानजनक स्थिति.
14. डॉ. काशीनाथ सिंह, डॉ. श्रीराम परिहार, प्रो.ज्ञान रंजन, आचार्य भगवत दुबे सहित ख्यातिलब्ध साहित्यकारों का सानिध्य एवं मार्ग दर्शन प्राप्त.
15. हिन्दी काव्याधारा की दुर्लभ काव्यविधा “आद्याक्षरी” में लगातार लेखन.
16. काव्य संग्रह ” किसलय के काव्य सुमन ” का सन 2001 में प्रकाशन. गद्य-पद्य की 2 पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य.
17. हिन्दी व्याकरण पर सतत कार्य एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार – प्रसार हेतु संकल्पित.
18. स्वतन्त्र पत्रकारिता एवं साहित्य लेखन के चलते लगभग 35 वर्ष से प्रकाशन.
19. कविताओं, कहानियों, लघुकथाओं, आलेखों, समीक्षाओं का सतत् लेखन .
20. “हिन्दी साहित्य संगम” अंतरजालीय ब्लाग पर नियमित लेखन एवं ‘हिन्दी साहित्य संगम’ के बेनर तले साहित्यिक कार्यक्रम, कार्यशालाएँ, समीक्षा गोष्ठियों के साथ लगातार साहित्य समागमों का आयोजन.
21. धर्मार्थ इले. होम्योपैथी चिकित्सा का सीमित संचालन.
22. सामाजिक संस्थाओं एवं निजी तौर पर समाज सेवा.
23. विदेशी डाक टिकटों का संग्रह, नवीन टेक्नोलॉजी एवं वैश्विक घटनाओं की जानकारी में रुचि.
24. बाह्य आडंबर, साहित्यिक खेमेबाजी, सहित्य वर्ग विभाजन (जैसे छायावाद, प्रगतिशील, दलित साहित्य आदि) से परहेज. क्योंकि साहित्य साहित्य होता है.
डा० तिवारी को जानिये :- ब्लाग : "हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर" या वेब-साइट "हिन्दी साहित्य डाट काम" के ज़रिये या मुझसे