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शनिवार, फ़रवरी 04, 2012

घर में शीतल-शबाब है.घर आते ही पढ़ा करो .!

 चेहरों वाली क़िताब है हौले-हौले पढ़ा करो
 हर चेहरे पे नक़ाब है  हौले-हौले पढ़ा करो .!
 खोज रहे हो बेपरवा इस-उस के आंचल में सुख
 घर में शीतल-शबाब है.घर आते ही पढ़ा करो .! !
 वो आंखों में लिये समंदर घूम रहा है गली गली
  उस मुफ़लिस की आंखो से दुनियां अपनी पढ़ा करो..!!

   

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