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गुरुवार, फ़रवरी 16, 2012

तस्वीर ही बदल दी : संवेदनशील अधिकारी दीपेंद्र सिंह के ज़ज़्बे को सलाम

संवेदनशील अधिकारी दीपेंद्र सिंह बिसेन
    बाल-गृह जबलपुर में कोई दस बरस पहले गया था मैं.... मुझे अच्छी तरह याद है इस संस्थान में प्रवेश द्वार से ही उपेक्षा एवम नैराश्य का वातावरण पहली ही नज़र में मुझे दिखाई दे गया था.बेसहारा बच्चों के लिये स्थापित आवासीय संस्था की स्थिति देख कर घोर निराशा लिये लौटा था. पिछले बरसों में मध्य-प्रदेश सरकार के निर्णय अनुसार महिला बाल विकास विभाग को बच्चों एवम किशोरों के लिये संचालित कार्यक्रमों/योजनाओं के क्रियांवयन का दायित्व गया.जबलपुर में संचालित शासकीय बाल-गृह भी इसी निर्णय के तहत महिला बाल विकास विभाग को हस्तांतरित किया गया. जिसकी बागडोर संवेदनशील अधिकारी दीपेंद्र सिंह बिसेन जो बाल विकास परियोजना अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं को सौंपी गई. इंजिनियरिंग के विद्यार्थी होने के बावज़ूद संवेदनात्मक भाव से परिपूर्ण हैं  दीपेंद्र . तभी तो लीक से हटकर काम करने का जोखिम भी उठाकर तस्वीर बदलने के प्रयास में लग गए.बाल-गृह के बच्चों के पैर में चप्पल न देख मन में उदासी होना जायज थी.  जाड़े के पहले अपने बच्चों की तरह उन बच्चों के तन पर ऊलन कपड़ों की चिंता भी सता रही थी दीपेंद्र को जो बाल-गृह में रह रहे थे. मित्रों से परामर्श किया. कुछ क़दम खुद ने उठाए कभी साथियों से आग्रह किया. किसी को भी कोई आपत्ति क्यों होती जिसे जितना मन में आया सहयोग किया.बच्चों को शैक्षिक व्यवस्था का अभाव भी चिंता का विषय था... यानी संस्थान की समूची कमियां खत्म करते हुए बच्चों को भरपूर बचपन जीने देने की स्थिति में लाना. दीपेंद्र सफ़ल हुए यूनिसेफ़ के सौजन्य से बाल-गृह में अब एक स्कूल संचालित है. संस्थान की दीवारें अब गंदगी से नहीं खूबसूरत रंगों से रंगी हैं. बच्चे क्लास रूम में पढ़ते हैं...शुद्ध पानी पीते हैं. सुबह वेद-मंत्रों भजनों से जागते हैं बाल गृह के बच्चे. सबके पास क़िताबे कापियां हैं उनकी आंखें सपने भी देखतीं हैं... बच्चे पिकनिक भी तो जाते हैं. योगाभ्यास, संगीत, समूह चर्चा, यानी वो सब जो एक परिवार के बच्चे को हासिल होता है उनको भी हासिल हो रहा है..अब तो अखबार भी छापते हैं ऐसी खबरें...     
                                     //बालगृह में दस दिवसीय योग शिविर //
          महिला एवं बाल विकास विभाग तथा योग केन्द्र रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के तत्वावधान में बालगृह, गोकलपुर में 10 दिवसीय योग प्रशिक्षण शुभारंभ किया गया ।  14 फरवरी तक चलने वाले इस योगप्रशिक्षण शिविर में 8 से 16 वर्ष की उम्र के लगभग 52 बच्चों को योग के प्रारंभिक अभ्यासों, सूर्य नमस्कार एवं प्राणायाम से परिचित कराया जायेगा। उक्त जानकारी देते हुए बाल गृह के अधीक्षक एवं परियोजना अधिकारी दीपेन्द्र सिंह बिसेन ने बताया किबच्चों में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है ।दिवसीय इस प्रशिक्षण शिविर का संचालन योग केन्द्र, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से सम्बद्धयोगाचार्य वर्षा अवस्थी एवं सलिल समाधिया द्वारा किया जा रहा है । योगाचार्या वर्षा अवस्थी ने बताया कि इस शिविर में बच्चों को एकाग्रता बढ़ाने एवं स्मृति प्रखर करने सेसंबंधित योगासनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है । इस कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर परियोजना अधिकारी  मनीष शर्मा, योगाचार्य डॉ. आदित्य नारायण शुक्ल, डॉ. चिन्ताहरण बेताल, डॉ. रेखा काकोड़िया एवं किशोर गृह के शेख मुबारक, संतोष पटेल, प्रकाश परिहार एवं प्रवीण कढ़ार उपस्थित थे ।

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