हिंदी दिवस पर विशेष : लेट अस ट्राय टू स्पीक हिन्दी
राजभाषा,राष्ट्रभाषा यानी ग़रीब-देश की ग़रीब-भाषा को नमन करते हुए हम भारतवासी अपनी भाषा के प्रति कितने ईमानदार हैं इस बात का अंदाज़ पहले-दर्ज़े के कूपे में बिराजे मेरे सह यात्री जोड़े के मेरे एवम श्रीमति जी के बीच चल रही हिंदी भाषा में बातचीत पर किये गये तंज़ से लगाया जा सकता है.
- Ramola Do you know how to talk in hind..?
- No, i don't want this
- pl. let us try to speek hindi...
उस वक़्त शिवानी दसवें दर्ज़े में थी.उसे राष्ट्र भाषा के प्रयोग की वज़ह से उसके मां-बाप का अपमान कितना दु:खी कर-गया था इसका अंदाज़ मुझे न था.मैं समझ गया कि वो उस जोड़े को बता देना चाहती थी कि मेरे पापा गंवार नहीं हैं.. कम-से-कम अंग्रेजी का इतना ग्यान तो रखते हैं कि आर.के.नारायण के ज़रिये जीवन को जान सकें.
रोटी की भाषा अंग्रेजी हम मध्य-वर्ग लिये मायने नहीं रखती हमारे लिये महत्वपूर्ण है "जीवन की भाषा जो हमें हमारे जीवन-मूल्यों से परिचित कराए और वो है हमारी राष्ट्र भाषा यानी हिंदी."
वे लोग भ्रमित हैं कि वे अंग्रेजी के ज़रिये स्वयंभू तौर पर स्टेटस हासिल कर लेते हैं. मेरी बेटी ही काफ़ी थी उन नासमझों के लिये.
शिवानी को मैंने समझाया :-” बेटे,भाषा,बोली, तब तक व्यर्थ है जब तक उसमें संस्कार के दर्शन न हों.
मेरी हां में अपनी हां मिलाते हुए शिवानी हंस दी और बोली :"Papa let us try to understend feelings haa haa haa ?"
सह यात्री जोड़े के चेहरे पढ़ने लायक थे परसाई के शहर की चुहिया भी तीखा तंज-करेगी उन्हैं गुमान न था .
मुझे नींद ने घेर लिया इटारसी आते आते तक जोड़ा मेरी बेटी शिवानी और मेरी श्रीमति से हिंदी में बात करता पाया गया . उन्हैं दिल्ली वाली गाड़ी पकड़नी थी हमें भोपाल वाली.मुझे तो ये किस्सा ता उम्र याद रहेगा और उनको यह चोट .
टिप्पणियाँ
yah comment mobile se likhe jane ke karan roman me hai...maafi :-)
मन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल |