अब आगे :-
(इस वाक़ये से एक चिंतन का दरवाज़ा खुलता है. वो दरवाज़ा जो हमारे मन में पनप रहे कुत्तावृत्ति का परिचय देगा सोचते रहिये यही सोचेंगे जो मै लिख रहा हूं)
चित्र क्रमांक 01 |
कुत्तावृत्ति का प्रमुख परिचय भौंक है, जिसका अर्थ आप सभी बेहतर तरीके से जानते हैं. जिसका क्रिया रूप "भौंकना" है. भौंक एक तरह से आंतरिक-भयजन्य आवेग का समानार्थी भाव है. जो आत्म-रक्षार्थ प्रसूतता है. अब बांये चित्र में ही देखिये ये चारों लोग जो मयकश जुआरी हैं नशा आते ही इनके चिंतन पर हावी होगा भय. कहीं मैं हार न जाऊं.और दूसरे को हारता देख खुश होंगे खुद को हारने का भय भी होगा.. फ़िर टुन्न होकर अचानक चिल्लाने लगेंगे ध्यान से सुनने पर आप को साफ़ तौर पर कुत्तों के लड़ने की ही आवाज़ आएगी.
जब आप कभी अपने आपको आसन्न खतरे से बचाना चाहते हैं तो आप बचाने के राह खोजने से पहले आप चीखेंगे अपना चेहरा देखना तब कुत्ते सा ही लगेगा आपको.मेरे एक परिचित हैं जिनकी आवाज़ वैसे ही गूंजती है जैसे देर रात मोहल्ले में कुत्तों के सामूहिक भौंक काम्पिटिशन चलता है.
चित्र क्रमांक 02 |
हां एक बात और हाथी के बहुत करीब आकर कुत्ते कभी नहीं भौंकते दूर से भौंकते हैं . कारण साफ़ है हाथी कद काठी ताकत वाकात में सबका बाप जो होता है.
घरेलू किस्म के कुत्तों में सबसे कायर कुत्ता पामेरियन नस्ल का होता है ससुरा खतरे की ओर मुंह करके पीछे खिसक-खिसक के भौंकता है. ऐसी वृत्ति सरकारी गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत व्यक्तियों में देखी जा सकती है.
घरेलू कुत्तों में एक आदत ये होती है-कि उनके भोजन करते वक्त कोई भूल से भी उसके पास आए तो मानिए गुर्राहट तय है जो बाद में भौंक में बदल जाती है.उसे लगता है पास आने वाला उसके आहार को खाएगा .
(सारे चित्रों के लिए गूगल बाबा का आभार इन पर किसी का भी कोई अधिकार हो तो बताएं)
9 टिप्पणियां:
यह किस दिशा में है वो तो नहीं समझ आ रहा किन्तु हैं तीखा....सधा हुआ निशाने पर सा...
कुत्ते हैं, भौंकेगें नहीं तो क्या करेंगे्।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
लग रहा है कि फिर कुछ हो गया है....
कुत्ते हैं, भौंकेगें नहीं तो क्या करेंगे्।
दिलचस्प प्रस्तुति...
कुत्ते नही भोंकेगे तो क्या बंदर भोंकेगा ? लगता हे आप का इशारा कही ओर हे.... राम जाने
इशारा सटीक था,लगा भी,हमारे पडौ़स वाले गोलू भैया की कसम उनका कुत्ता रात भर हमारी नाक में दम किये रहता है. लिख मारे गुस्से में डायरेक्ट एक्शन भी तो नहीं होता अपन से. इसके अलावा करें तो क्या करें न तो गोलू भैया से न ही कुत्तों से सम्बंध बिगाड़ सकते. गोलू भैया से हमारा पडौसी का नाता है,उनके कुत्ते के पुरखे मनुष्य प्रज़ाति के पुरखों से क्लोज़ली रिलेटेड हैं. अब बताएं हमको किसी पागल मित्र ने काटा है जो हम गुस्सा डायरेक्ट निकालें गोलू भाई और उनके कुत्ते पर.दुनियां में कई खज़हे-नान खजहे कुत्ते विचरण कर रहे हैं सबके मुंह में लकड़ी डाल के उकसाना काहे सो भैया हम नेट पे लिखे. मोहल्ले वाले कुत्ते से हम कोई पंगा नईं लेगें कुत्ता और गोलू भैया का नेट,बज़,ब्लाग श्लाग से कोई नाता नहीं. न ही वे बेवकास्टरी कर रये है सो भाइयो, दीदीयो समझे न ?
कुत्ते जो ठहरे, ऐसा ही करेंगे न ! :)
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - अज्ञान
ये आदते हमारे डोगी की भी है, लेकिन वो पहाडी नस्ल का है, डरपोक बिल्कुल नहीं,
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