आज पुरानी पुस्तकों के बीच दादी की पोथी हाथ लगी....मूल्य लिखा है ५/- और नाम है
"रामायन मनका-१०८"...
बस और कुछ नहीं .....सोचा आज हनुमान जयंती है, तो इसे ही सब तक पहुँचाया जाए...
और महावीर के चरणों में समर्पित ये
हन हनुमतये नम:
___________
हन हनुमंत दुष्ट दलन को
लाज़ रखो निर्बल जन मन को !
कुंठित दुष्ट क्रूर अग्यानी-
सुन कापैं तुम्हरी जस बानी..!
जो नारकी दिये दु:ख मोही-
राम की सौं मत तज़ियो सो ही .
मो सम भाग हीन तुम नाथा-
तुम संग जीत गयहुं जुग सा..!!
"रामायन मनका-१०८"...
बस और कुछ नहीं .....सोचा आज हनुमान जयंती है, तो इसे ही सब तक पहुँचाया जाए...
और महावीर के चरणों में समर्पित ये
हन हनुमतये नम:
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हन हनुमंत दुष्ट दलन को
लाज़ रखो निर्बल जन मन को !
कुंठित दुष्ट क्रूर अग्यानी-
सुन कापैं तुम्हरी जस बानी..!
जो नारकी दिये दु:ख मोही-
राम की सौं मत तज़ियो सो ही .
मो सम भाग हीन तुम नाथा-
तुम संग जीत गयहुं जुग सा..!!
अब सुनिए--
रामायन मनका-१०८