सागर पाखी अपने पर को फ़ैला कर मापें जब सागर,
तब जानो सागर नन्हा है- आतुर वे भरने को गागर !
लघु विशाल का भेद निरर्थक देखो तो साहिल पे जाकर.
इनसे भी ज़्यादा है मापा- जलचर ने अंतस तक सागर !!
***********************************तुमने किसका गीत ये गाया ,अपने सुर में आज़ पिरोकर
किसका ओढ़ लबादा आये- कहो कहां से आये होकर !
बंद करो खोने का रोना- मिथ्या गीत नहीं सुनना है-
नित नूतन कुछ कुछ पाया है, हमने जग में खुद को खोकर !!
अपना उदर भरा करते हो इस उस के मुख छीन निवाला
अपनी ठिठुरन मिटा रहे क्यों- मेरे तन से छीन दुशाला .
चिंगारी से डरने वालो क्या मशाल लोगे हाथों में-
हमको देखो जल जल हमने रोज़ राह में किया उज़ाला !!
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8 टिप्पणियां:
bahut hi sunder geet aapka aabhar
आपने तो बड़ा सुन्दर गीत प्रस्तुत किया.....बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!
बहुत सुन्दर चतुश्पदीज़ सर। फ़ोटोज़ आल्सो लुक नाइस टु सपोर्ट दैम।
मैने जमाल के भगवान बाबा वाले लेख पर जो कमेंट आपके बाद किया पढ़ें मजा आयेगा ही ही।
भाई साहब जब आपके प्यारे प्यारे नबी मोहम्मद तक कलटी हो गये इस संसार से क्योंकि उन्हें मालुम था कि आगे चलकर उनके मज़हब में एक बहुत ही वाहियात इंसान डॉ. जमाल पैदा होने वाला है, हा हा तो भगवान बाबा क्यों नहीं ? उन्होंने भी अपने समय से पहले, आप ही की वजह से विदा ले ली कि वेद के साथ कुरकुरे की स्टाइल में कुरान चिपकाने वाले के युग में नहीं रहना। यू आर रिस्पांसिबिल टु किल द गॉडिस्म फ़्रॉम द कंट्री बाय डूईंग आल सच बकवास। अण्डर्स्टुड।
sundar geet..
Sham ko milataa hooM
Shukriyaa Abhar Sabhee kaa
sir , bahut hi acchi kavita , shabdo ki sundarta bahut kuch kahe de rahi hai ... aapko dil se badhayi .
pata nahi kyon aisa laga raha hai ki aap sabhi se ek baar phir se jabalpur me milna honga ....
badhayi .
मेरी नयी कविता " परायो के घर " पर आप का स्वागत है .
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/04/blog-post_24.html
अच्छी पोस्ट |बधाई
आशा
बहुत सुंदर ..
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