सागर पाखी अपने पर को फ़ैला कर मापें जब सागर,
तब जानो सागर नन्हा है- आतुर वे भरने को गागर !
लघु विशाल का भेद निरर्थक देखो तो साहिल पे जाकर.
इनसे भी ज़्यादा है मापा- जलचर ने अंतस तक सागर !!
***********************************तुमने किसका गीत ये गाया ,अपने सुर में आज़ पिरोकर
किसका ओढ़ लबादा आये- कहो कहां से आये होकर !
बंद करो खोने का रोना- मिथ्या गीत नहीं सुनना है-
नित नूतन कुछ कुछ पाया है, हमने जग में खुद को खोकर !!
अपना उदर भरा करते हो इस उस के मुख छीन निवाला
अपनी ठिठुरन मिटा रहे क्यों- मेरे तन से छीन दुशाला .
चिंगारी से डरने वालो क्या मशाल लोगे हाथों में-
हमको देखो जल जल हमने रोज़ राह में किया उज़ाला !!
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