हजारीलाल के डरावने सपने आने लगे करोड़ी को

काजल भाई के  कार्टून बैंक से चुरा के लाया गया है  
                              सेठ करोड़ी मल के कारखाने में जो भी कुछ बनता बाज़ार जाता गांधी छाप रुपए की शक्ल में वापस आता. तिजोरी में फ़िर बैंक में बेनामी खातों में... फ़िर और जब सेठ करोढ़ी मल सौ करोड़ी हुए तो क्या था स्विस बैंक के बारे में ब्रह्म-ज्ञान मिला. सो भाई उधरईच्च निकस गये. उधर हज़ारी की को भी बहुत दिनों से कोई खास काम न था सो आराम का जीवन ज़ारी था. कि  अचानक एक दिन हजारीलाल को का सूझी कै बो बस करोड़ी के पीछे लग गिया. 
 करोड़ी बोला:-"भई, कोई रोको उसे..?"
  रोकता कौन  कैसे.... उसे... दरबार में भी हज़ारी लाल की ही सुनाई हुई. फ़रमान आया. सबने एक दूसरे का मुंह मिठाया और का बस सब अपने अपने घर को निकस गये. करोड़ी लाल की सांसें फ़ूल रहीं हैं कि इब का होगा . हजारी जीत गिया उसके पास ताक़त है फ़िर मन इच्च मन बोला :-"दिल्ली दूर है.. देखतें हैं" 
     बड़ी मुश्किल से एक दिन बीता हता कि भैया रात करोड़ी मल उस सपने के बाद सो न पाया.... उस सपने के बाद  क्या था उसका भयानक सपना सो बतातें है एक ब्रेक के बाद यानी कल न भाई परसों तब तलक आप इंतज़ार कीजिये
क्रमश:.....

टिप्पणियाँ

जल्दी से प्रकाशित करिये दूसरा भाग भी...
इन्तजार करते हैं--। जल्दी वापिस आईयेगा। आभार।

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