13.12.10

उन्मुक्त जी एवम दराल जी की दो श्रवणीय पोष्ट अर्चना चावजी द्वारा

इसी बात को चार साल पहले से उन्मुक्त जी समझा रहे हैं और अब तक ब्लॉगजगत में इसकी आवश्यकता है ...
पढिये उन्मुक्त जी की पोस्ट जिसे उन्होंने २९ सितम्बर २००६ को प्रकाशित किया था...

 



 डॉ. टी.एस. दराल जी के ब्लॉग अंतर्मन्थन पर प्रकाशित संदेश---
एक संदेश--जनहित में जारी
 



12 टिप्‍पणियां:

arvind ने कहा…

sundar article ko kaafi sundar dhwani diya hai aapne...aabhaar.

समयचक्र ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

sundar prastuti

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत अच्छा कार्य...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कहानी और कविता , दोनों का अलग अंदाज़ यथोचित रहा ।
बहुत सुन्दर आवाज़ में उम्दा प्रस्तुति अर्च्नना जी ।
आभार ।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

मांफ कीजियेगा अर्चना जी , नाम में टंकण गलती हो गई ।

Satish Saxena ने कहा…

हार्दिक बधाई अर्चना जी ,
अच्छी पोस्ट को पॉडकास्ट के जरिया ब्लॉग जगत पर लाना बड़ी हिम्मत का काम है खास तौर पर उन दिनों जब बहुत कम लोग रूचि लेते हों ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. उम्दा आवाज़ ...........

बेनामी ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सराहनीय!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर एवं सार्थक
शुभकामनाए

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

शानदार रही यह प्रस्‍तुति। बधाई।

---------
दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

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