''मिसफ़िट : सीधीबात पर पिछले दिनों आपने प्रशांत श्रीवास्तव की ग़ज़ल देखी और प्रशांत भाई को दुलारा मैं आपका आभारी हूं, आज प्रशांत भाई आपसे मुलाक़ात के लिये हाज़िर हैं पेशे-ख़िदमत प्रशांत भाई का इन्टरव्यू यू-ट्यूब के ज़रिये (भाग एक=यूट्यूब पर सीधे देखने क्लिक कीजिये "इधर"
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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5 टिप्पणियां:
प्रशांत जी को देखा,सुना,अच्छा लगा.अभी सब सो रहे अहिं इसलिए आवाज बहुत धीमी करके सुनना पद रहा है.स्कूल से आ कर वापस सुनूंगी तभी उनके बारे में ईमानदारी से लिख पाऊँगी.पर गिरीशजी आप बहुत मेहनत करते हैं इसमें कोई शक नही.
इससे पहले मैं प्रशांत जी को नही जानती थी.आपके ये छोटे छोटे प्रयास किसी भी रचनाकार के लिए एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव से कम नही.ईश्वर आपके प्रयासों को सफलता तो दे ही आपको सदा सुखी,स्वस्थ और सक्रीय रखे.
दिलीप कुमार और वैजयन्ति माला जी के इस सदाबहार,फड़कते गीत को यहाँ देख कर मजा आ गया.हमारा कोई भी मस्ती भरा प्रोग्राम इस गाने के बिना आज भी पूरा नही होता. जियो 'हमारे' शेर!
शुक्रिया ताई
very nice
वाह क्या बात है
शुक्रिया...
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