एक निवेदन महेन्द्र मिश्र जी का...............

आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है ...बस एक पोस्ट सबको सुनानी है ......



पल-पल मंजिलों की ओर...

टिप्पणियाँ

महेन्द्र मिश्र जी के आलेख का वाचन प्रेणादायक रहा!
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मा गृधः कस्यस्विधनम्!
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लालच मत करो,
यह धन किसका है?
महेन्द्र मिश्र जी के आलेख का वाचन प्रेरणादायक रहा!
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मा गृधः कस्यस्विधनम्!
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लालच मत करो,
यह धन किसका है?
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माफकरना हिन्दी सेवकों-
पहली टिप्पणी में
"प्रेरणादायक" का प्रेणादायक हो गया था!
अर्चना चावजी के प्रयासों की निरन्तर सराहना किया जाना चाहिये जो सुधि पाठक कर ही रहें हैं शास्त्री जी की तरह मार्गदर्शन देना भी ज़रूरी है
समयचक्र ने कहा…
अर्चना जी के वाचन से कहानी में चार चाँद लग गए हैं .. बहुत बढ़िया प्रस्तुति..... आभारी हूँ ....
रानीविशाल ने कहा…
Bahut bhadiya
Archana ji aur Mishraji dono ko hi ko bahut bahut badhai
Udan Tashtari ने कहा…
अर्चना जी और मिश्र जी को बधाई.

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