जी हाँ एक अखबार में प्रकाशित समाचार में शिशु उत्तर जीविता के मसले पर सरकार द्वारा उत्तरदायित्व पालकों का नियत करना अखबार की नज़र में गलत है. इस सत्य को अखबार चाहे जिस अंदाज़ में पेश करे यह उनके संवाद-प्रेषक की निजी समझ है तथा यह उनका अधिकार है......! . किन्तु यह सही है कि अधिकाँश भारतीय ग्रामीणजन/मलिन-बस्तियों के निवासी लोग महिलाओं के प्रजनन पूर्व स्वास्थ्य की देखभाल और बाल पोषण के मामलों में अधिकतर उपेक्षा का भाव रखते हैं . शायद लोग इस मुगालते में हैं कि सरकार उनके बच्चे की देखभाल के लिए एक एक हाउस कीपर भी दे ...? बच्चे को जन्म देकर सही देखभाल करना पालकों की ज़िम्मेदारी है अब तो क़ानून भी स्पष्ट है . वर्ष 1990 में मेरे एक पत्रकार मित्र ने मुझसे यही कहा था.मित्र को मैंने कहा था कि पिताओं और परिवार के मुखिया की प्राथमिकता में ''महिलाओं के प्रजनन पूर्व स्वास्थ्य की देखभाल और बाल पोषण सबसे आख़िरी बिंदु है...! उनको यकीं न हुआ तब हमने संयुक्त रूप से कांचघर चुक जबलपुर की पहाड़ी पे बसी शहरी गन्दी बस्ती का संयुक्त भ्रमण किया दूसरे दिन उनने छै कालमी रिपोर्ट का शीर्षक दिया 'उनकी प्राथमिकता है शराब न कि अपनी मासूम संताने' परन्तु पालकों के प्रति व्याकुल मन की तासीर बदलने वाली कहाँ ..? जिद ठान ली कि कम से कम अपनी कोशिश पूरी करूंगा पिछले चार साल से गाँवों के लिए काम कर रहा हूँ अपने मेरे प्रोजेक्ट क्षेत्र में मेरी पर्यवेक्षिका श्रीमती सुषमा नाईक ने सूचना -संचार-प्रणाली , का विकास किया जिसके सहारे आँगनवाड़ी केन्द्रों की संचालिकाएं [जिनको आँगनवाड़ी कार्यकर्ता कहा जाता है ] कुपोषण के शिकार बच्चों की प्रतीक तस्वीरों के ज़रिये बतातीं हैं कि आपका शिशु/बच्चा किस पोषण स्तर पर है . नीचे ग्राम देवरी पंचायत बहोरीपार, जनपद जबलपुर ग्रामीण से चिन्हित सात गंभीर कुपोषित बच्चों के तीन माह के वज़न आधारित पोषण स्तर को दिखाया जा रहा है. पहले माह माह में सातों प्रतीक बच्चे खतरनाक ज़ोन यानि लाल ज़ोन में थे . जिनमें से तीन बच्चे उबर आये हैं खतरे से और कम खतरे वाले क्षेत्र में आ गए हैं . पर्यवेक्षिका,आंगनवाडी-कार्यकर्ताऑ के साथ मेरी चिंता अभी बरकरार है कि कब ये बच्चे हरे-क्षेत्र में आ जावेंगे. यानि खतरे से बाहर
इस चित्र में श्रीमती नाईक बता रहीं हैं कि लाल पुतले जो गाँव विशेष के गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रतीक हैं जिनको पहले पीले फिर धीरे-धीरे हरे ज़ोन में लाना हर माँ-बाप की ज़िम्मेदारी है. !''-इस तरह चार्ट का अनुप्रयोग कर जाग्रतिलाने की कोशिशें जारी हैं पिछले तीन माहों से गाँव गाँव में . इस प्रयोग से मुझे और मेरी टीम को जो सफलता मिली उसे एक अखबार ने कुछ ऐसे बयाँ किया
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4 टिप्पणियां:
आपकी चिन्ता वाजिब है!
इस मुहिम में हम आपके साथ हैं!
sochne wali baat hai.
आप ने बिलकुल सही लिखा है, बस लोगो को जागरु किया जाये तो बात बन सकती है
v nice post :) I like d concept ..all the best!
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