महफूज़ मियाँ का एकाएक गायब होना फिर जबलपुर में अवतरित होना अपने आप में एक चमत्कारिक घटना रही है. इन सब बातों को लेकर एक अन्तराष्ट्रीय संवाद हुआ जिसमें ''बेचारे-कुंवारे हिन्दी ब्लागर्स की दशा और दिशा'' पर भी विमर्श किया गया अदा जी जो जो कविता का डब्बा यानी ''काव्य-मंजूषा'' की मालकिन हैं तथा स्याही और कागज़ के मालिक दीपक मशाल से मेरी बात हुई
क्या खूब पायी थी उसने अदा,
ख्वाब तोड़े कई आंधिओं की तरह.
कतरे गए कई परिंदों के पर,
सबको खेला था वो बाजियों की तरह.
हौसला नाम से रब के देता रहा,
औ फैसला कर गया काजिओं की तरह.
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