सिद्धार्थ जोशी जी से मजाहिया भेटवार्ता को कविता जी से हुई वार्ता के साथ लिंक्ड कर दिया था किन्तु शायद मित्र उनको नहीं सुन पाए आज इस वार्ता को पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ............
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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2 टिप्पणियां:
प्रेमिका सारी आंटियां बन चुकी हैं। सिद्धार्थ जी ने स्वीकारा। पर यह क्यों नहीं बतलाया कि मैं भी तो अंकल बन गया हूं। हा हा हा
गिरीश जी के इस कथन से तो मैं भी इत्तेफाक रखता हूं कि ब्लॉग जगत में आने के बाद तो बीकानेरी सिद्धार्थ जोशी से प्रख्यात बीकानेरी और कुछ भी नहीं होगा। अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी ...
स्द्धार्थ जोशी जी की आवाज स्पष्ट नही आ रही। शायद मेरे कम्पयूटर मे गडबड हो। बाद मे फिर सुनती हूँ। धन्यवाद ।
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