3.3.10

बवाल मिथलेश और अनीता कुमार जी एक साथ

यह एपिसोड होली के दिन रिकॉर्ड किया है जिसे हू ब हू पेश कर रहा
याद आप यहाँ न सुन पाए तो ''इधर'' चटका लगाइए जी   
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प्रतीक्षा कीजिए शीघ्र ही होगी पाबला जी से धमाकेदार मुलाक़ात
हिन्दी ब्लागिंग में जारी झंझावातों पर खुल के बोले पाबला जी 
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11 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत अच्छा लगा मिथिलेश से पोडकास्ट । बहुत अच्छा और उभरता हुया लेखक होने के साथ साथ बहुत अच्छा इन्सान भी है। धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

वाह रे मेरे बवाल...आज तो पुरानी होली की याद ताजा करा दी तुम्हारी आवाज ने..बहुत अखरा होली पर वहाँ न होना वरना तो क्या महफिल जमती...बिल्लोरे जी का आभार..कि कम से कम अपने बवाल की आवाज में सुन पाये...

मिथलेश और अनिता जी को सुन कर भी अच्छ लगा..

सबका स्नेह बना रहे..यही ख्वाईश है!! बेहतरीन प्रस्तुति!!!

शरद कोकास ने कहा…

सब हमारे रंग मे ही रंग जायेंगे...क्या बात है ..

Mithilesh dubey ने कहा…

वाह गिरीश भईया आपका भी जवाब नहीं , भाई अब तो आपसे बच के रहना पड़ेगा ,पता नहीं कब आप क्या राज खुलवां के पोस्ट कर दें , बड़ा मजा आया सूनकर बवाल भईया फिर से ।

Satish Saxena ने कहा…

नए प्रकार का, सही बवाल मचाये हो आप भी !

M VERMA ने कहा…

आनन्द आ गया. बवालमय प्रस्तुति
तमाम मुद्दों पर बेबाक बातचीत
बातचीत के दौरान मेरे अनुमान के अनुसार गुझिया खा रहे थे.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सबका स्नेह बना रहे..यही ख्वाईश है!! बेहतरीन प्रस्तुति!!!

makrand ने कहा…

bahut badia

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

बहुत अच्‍छा प्रयोग है। पब्लिक में बवाल जी से गवा दो तो सचमुच में बवाल ही मच जाये। अनिता जी को नहीं सुन पाये, जल्‍दी ही सुनेंगे इस आशा और विश्‍वास के साथ। चर्चा को और व्‍यापक परिप्रेक्ष्‍य दिए जा सकते हैं। वर्तमान ज्‍वलंत मुद्दों पर बात की जा सकती है। सबके विचार और क्‍या करना चाहिए, सुझाव लिए जा सकते हैं। मिथिलेश जी की आवाज नहीं पहचानी गई।

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Are baba..!!
Ham to sun hi nahi paaye ye podcast ... error message aaraha hai ki aapne Data Transfer Limit Exceed kar diya hai...
Dekh lijiyega...

बवाल ने कहा…

भैया, हमरे तो कनवा ही फूट गए यार। ई कौन चिल्लाचोट मचाय रहा था, अनिता जी और भाई मिथिलेश जी की बातचीत के बीच में जोर जोर से? भाँग की पिनक विनक में रहा होगा। बवाल कहीं का।

हा हा। आप भी ना गिरीश भैया, अच्छी जुगलबंदी करवाय दिए।
अनिता जी और मिथिलेश जी से बातचीत का अनुभव बहुत ही सुखद और आनंददायी रहा। आप सभी का बहुत बहुत आभार और होली की बहुत बहुत बधाइयाँ।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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