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धर्म और संप्रदाय
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7 टिप्पणियां:
उस्ताद लुकमान के बारे में जानने को मिला। शुक्रिया!
हमने भी पढ़ा उन्हें और आपको भी पढ़कर अच्छा लगा!
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
आप भारतीय हैं तो अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
मैं मस्त चला हूँ मस्ती में थोडी थोडी मस्ती लेलो , माटी की गागरिया
-आज जब यही सब बवाल गाता है तो बहा ले जाता है लुकमान चचा की याद में-जब होलिका दहन को सारी रात मोती बाड़ा में शहर की महफिल सजती थी. आखें नम हो आती है उन दिनों को याद कर.
बहुत खूब याद किया है आपने गिरीश भाई.
लुकमान चचा को नमन!!
सभी का आभार अगली पोस्ट में कुछ रोचक जानकारियाँ हैं
चचा लुकमान के शागिर्द शेषाद्री और बवाल साजिन्दे कुबेर
से बात करनी शेष है साथ ही डाक्टर सुधीर तिवारी के पास
सुरक्षित ऑडियो जुगाड़ कर अन्तिम पोस्ट देसकूंगा चचा
पर
bahut khoob ji
शुक्रिया माधव जी
बवाल भाई शेषाद्री कुबेर उस देवपुत्र
के साथ होते थे तो लगता था
पूरी रात हम डूबें रहें ऐसा होता भी था
बेहतरीन पोस्ट के लिए आभार
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