निंदा की निंदा

निंदा ,निंदा-की अगर की जाए तो उसका अपना मज़ा है इस में कोई नुकसान नहीं होता करना भी चाहिए किंतु भैया जी सचाई तो ये है कि एक सुधारात्मक सोच को यदि आप नकारात्मक द्रष्टिकोण से देखेंगे तो तय है कि सुरक्षापर आंच आ सकती है मेरा मत यह है किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हो ही देश में मुंबई काण्ड की पुनरावृत्ति हो बाबजूद इसके कोई भीव्यक्ति कला साधना संस्कृति के नाम पे देश की गरिमा का ख़याल रखे बिना कुछ भी मांग करे ग़लत होगा आपको याद होगा ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह ने तक सज़ा भोगी


टिप्पणियाँ

seema gupta ने कहा…
मेरा मत यह है किसी भी स्थिति में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहो न ही देश में मुंबई काण्ड की पुनरावृत्ति हो
" very strong thoughts, i too agree with you"

regards
KK Yadav ने कहा…
एक सुधारात्मक सोच को यदि आप नकारात्मक द्रष्टिकोण से देखेंगे तो तय है कि सुरक्षापर आंच आ सकती है....Do agree with u.
राज भाटिय़ा ने कहा…
भाई आप की बात सो टके सही है.
धन्यवाद
आप सभी का हार्दिक स्वागत एवं आभार
BrijmohanShrivastava ने कहा…
सही बात है /न तो सुरक्षा से खिलबाड़ होना चाहिए और न ही किसी घटना की पुनरावृत्ति

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