नागफनी
जिनके आँगन में, उनके घर तक
जाए कौन ?
घर जिनके जाले मकडी के, रेशम उनसे लाए कौन !
हर
उत्तर से प्रश्न प्रसूते, प्रश्न-प्रश्न डूबे हैं
उत्तर
प्रश्न
चिन्ह जीवन जो हो तो ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
चिन्तन
के घट कुंठा रस मय, गीत जलाने लगे रहल ही
पथ
पे बिखरे बेर के कांटे , खुद से बाहर जाए कौन ?
मन ही मेरे मन का साथी, शीतल रश्मि समर्पण करता
मेरे
अंतस दीप उजागर , सूरज के गुन गाए कौन..?
जिज्ञासा
दब गई भूख में पोथी पूज न पाया बचपन
चीख
रहे हैं आज आंकड़े बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?
13 टिप्पणियां:
प्रश्न चिन्ह जीवन जो हो तो
ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
-बहुत गहरी रचना, वाह!! बधाई.
Bahut bhawgarbhit rachna.
मुझे मालूम था समीर जी ही हैं सबसे पहले टिप्पणी कार !
आभारी हूँ
आशा ताई
सादर प्रणाम जी
भावगर्भित कह कर आपने मुझे रोमांचित कर दिया
ACHCHHEE LAGI
अति सुंदर जी
आप ने साक्षरता-अभियान को भी नहीं बक्शा
लगता है कोई पीडा है दिल में
जिज्ञासा दब गई भूख में
पोथी पूज न पाया बचपन
चीख रहे हैं आज आंकड़े
बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?
मुकुल भाई, कहते हे सच कडवा होता हे, यह आप ने सिद्ध कर दिया, बहुत ही सुन्दर कविता हे,धन्यवाद
बेनाम जी
"अति सुंदर जी ,आप ने साक्षरता-अभियान को भी नहीं बक्शा"
यहाँ तक ठीक था पर ये क्या- "लगता है कोई पीडा है दिल में"
कविता दर्द के कारण ही निकलती और ये देश की सचाई है
जिज्ञासा दब गई भूख में
पोथी पूज न पाया बचपन
चीख रहे हैं आज आंकड़े
बूढ़ी आँख पढ़ाए ...?
जिसने सराहा उसका आभार
जिसने कराहा उसका अधिक आभार
जिसने केवल पढ़ा उनका मान
जिनने नही पढ़ा सम्मान.
किंतु जिसमें टिप्पणी करने की आदत नहीं है उनके लिए.............
चलिए छोडिए भी
आभार
बहुत सुंदर शब्द! बधाई!
बहुत सुंदर रचना...मन रम गया पढ़ने में...
आभार आपका..
ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
Wah,,,,,,Waah
प्रश्न चिन्ह जीवन जो हो तो
ऐसा चिन्ह मिटाए कौन ?
बहुत गहरी रचना,अच्छा लिखा है।
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