आओ हम मिल दूर करें आज सबके अंतस के अंधकार
दीपशिखाओं की ज्योति से रोशन हो सबके घर-द्वार
निश्छल ,निर्मल पावन मन में स्वर्ण रश्मियाँ हों अपार
बिना भेद के सब मिल जाएं,दिल में हों बस प्यार ही प्यार ...( अर्चना )
दीपशिखाओं की ज्योति से रोशन हो सबके घर-द्वार
निश्छल ,निर्मल पावन मन में स्वर्ण रश्मियाँ हों अपार
बिना भेद के सब मिल जाएं,दिल में हों बस प्यार ही प्यार ...( अर्चना )
“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
 बिना भेद के स्वर्ण रश्मियां  आया बांटन ये    त्यौहार ! 
    निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
 "हार्दिक शुभ कामनाएं "


 


 
 
