संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चाहिए की वे ,सामाजिक आचरण के अनुपालन कराने के लिए ,पुलिस को दायित्व नहीं देना चाहिए . इस तरह के मामले ,चाहे सही भी हों विषेशज्ञ से परामर्श के पूर्व सार्वजनिक न किएँ ,जाएँ , एक और आरुशी के मामले में पुलिस की भूमिका , के अतिरिक्त देखा जा रहा है पुलिस सर्व विदित है . सामान्य रूप से पुलिस की इस छवि का जन मानस में अंकन हो जाना समाज के लिए देश के लिए चिंतनीय है , सामाजिक - मुद्दों के लिए बने कानूनों के अनुपालन के लिए पुलिस को न सौंपा जाए बल्कि पुलिस इन मामलों के निपटारे के लिए विशेष रूप से स्थापित संस्थाओं को सौंपा जाए । संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी पुलिस को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चाहिए की वे सामाजिक आचरण के अनुपालन कराने के लिए पुलिस को दायित्व नहीं देना चाहिए . इस तरह के मामले चाहे स
टिप्पणियाँ
डाउन लोड करो तो कैसे ? मेरे भाई कोई रास्ता बताओ ना गूगल की ही मदद लेनी पडेगी?
जियो जियो राधे रानी आपके सारे सपने पूरे करे.
इस धुन की बरसों से तलाश थी.दिन सुधर गया अपना तो.
प्यार
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कान्हा जी का भजन अर्चना चाव जी ने बहुत ही भाव-विभोर होकर गाया है!
आपकी आवाज़ ने शब्दों में जान डाल दी है...
आभार