Ad

गुरुवार, सितंबर 02, 2010

कर्म योगी के बगैर भारत...! सम्भव न होता


कृष्ण के रूप में आज जिसे याद किया वो बेशक एक अदभुत व्यक्तित्व ही रहा होगा युगों युग से जिसे भुलाये न भुला पाना सम्भव हो सच जी हां यही सत्य है जो ब्रह्म है अविनाशी है अद्वैत है चिरंतन है . सदानन्द है.. वो जो सर्व श्रेष्ठ है जिसने दिशा बदल दी एक युग की उसे शत शत नमन





वो जो सब में है वो जिसमें सब हैं यानि एक ”सम्पूर्णता की परिभाषा” वो जिसे आसानी से परिभाषित कैसे करें  हमारे पास न तो शब्द हैं न संयोजना सच उस परम सत्य को हम आज ही नहीं सदा से कन्हैया कह के बुलाते हैं . सन्त-साधु, योगी,भोगी, ग्रहस्थ, सभी उसके सहारे होते हैं , सच उस परम तत्व को शत शत नमन
________________________________________
स्वर: रचना, प्रस्तुति :अर्चना, आलेख: मुकुल
________________________________________

Ad

यह ब्लॉग खोजें

मिसफिट : हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉगस में