पारे की उछाल :बवाल हुये लाल
जी आज अखबारों ने बताया कि पारा 45 डिग्री को छू रहा है . ब्लॉगर मित्र मियाँ बवाल सवा नौ बजे पधारे कहने लगे गिरीश भाई बाहर तो खूब गरम है "आल इज़ नॉट वैल"..... गरमी से बेहाल हुए "लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया पेश ए ख़िदमत है :- मज़ेदार बात चीत
इसे इधर भी सुना जाये
इसे इधर भी सुना जाये
टिप्पणियाँ
बधाई
लिमटी खरे
@राज़ दादा जी ये आजकल घूस नहीं स्नेह है हा हा
@शुक्रिया अलका जी
और उनकी विनम्रता ...दिल को छूती है ....अनुकरणीय है -बिल्लोरे जी यह काबिले गौर है! विवेक रंजन जी के बारे में टिप्पणी बिलकुल सही है ....उन्हें इस और ध्यान देना चाहिए!
mata-pita ko bhi apne ladlon aur ladliyon ko jaldi se safal bante dekhne ki jaldi hai na
Kislay ji ki pahichaan unke kutte ki wajah se bana rahe hain aap..
बवाल भाईजान का गाना तो पिछले पखवाड़े ही नागपूर में रेल्वे वालों के एक प्रोग्राम में सुना था। वाह क्या अंदाज़ है उनका पेश करने का। उनकी लिखी और गाई गजल "साजिश न कहो ये तो कोशिश है एक जहर से जहर झड़ाने के लिए । यहाँ कौन है ये बीड़ा उठाने के लिए इस शहर को शहर बनाने के लिए", एक बार फिर याद आ गई। ये समझ लीजिए कि इस बातचीत में इसी गज़ल का सार था। लस्सी मजेदार थी। बच्चों के लिए उनकी तकरीर एकदम सही है।
दिखाने-सुनाने के लिए गिरीश जी शुक्रिया...
जय हिंद...
४५ डीग्री पर पारा सुनकर हालत खराब हो गई.
बवाल का पर्यावरण चिन्तन और फिर बच्चों की शिक्षा पर विचार सुनकर अच्छा लगा.
रामकृष्ण गौतम जी को साधुवाद नई दुनिया के आलेख पर.
बवाल को जाने काहे दिया बिना गाये? :)
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
विजय जी ने जिस तरीके और अनुशासन से बेज़ुबान बोनी को सिखाया वाकई काबिले तारीफ़ है. बोनी से बार बार मिलना चाहते हैं लोग.उनमें मैं भी हूं
@समीर भाई बवाल बाज़ार एक झोला भर खरीदी करके लौटे थे सोचा कि कहीं सुर भटका तो नाम खोटी होगा हा हा हा
@अविनाश जी विमान कम्पनीयां इस पर विचार कर रहीं हैं
आपके सकारात्मक प्रयास की जय हो। समीर लाल जी सच कहा कि बवाल को बिना गाए जाने क्यों दिया ? एक बात तो है कि आज अपने लाला जी (समीर) की याद बहुत आई जी। उन्हें बहुत मिस किया। नामालूम क्यूँ ? बाक़ी सभी साहेबान का तहेदिल से शुक्रिया।
लस्सी के बाद शाम को कुछ और तो नहीं लिक्या
काकटेल हो जायेगी
फ़िर न कहना हां नई तो
आप लोग भी गज़ब करते हैं
आपने भी कम बवाल नहीं किया है....
बस सब कुछ बवाल ही बवाल है...
हाँ नहीं तो...!!
आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी तो है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html
baat nahee ho paa rahee.....?
@गिरीश जी, आपकी बातें हमेशा मुझे प्रेरित करती हैं...
@बवाल जी, आपका शुक्रिया...
पॉडकास्टिंग बढ़िया लगी...
"रामकृष्ण"