23.4.20

जिओ के साथ फेसबुक के आने का रहस्य

जिओ फेसबुक फ्रेंडशिप

पृथ्वी दिवस के अवसर पर अचानक की खबर आती है कि फेसबुक ने मात्र 9.99 प्रतिशत ठेकेदारी के लिए एक बड़ी रकम जिओ को सौंप दी है . . ?
इसके कई राजनीतिक एवं अन्य मायने निकाले जा रहे हैं। जब गंभीरता से पर विचार किया और परिस्थितियों का अवलोकन किया तो पता चलता है कि फेसबुक ने एक और चैट सर्विस से पहले हाथ मिला लिया...और वह सर्विस है हमारी सर्वाधिक लोकप्रिय सर्विस व्हाट्सएप . उधर 22 अप्रैल 2020 को फेसबुक ने जिओ को 43,574 करोड़ रुपए देखकर अपनी रिश्तेदारी पक्की कर ली है ।
बाकी सारे आंकड़े आपने अखबार में पढ़ ही लिए हैं उस पर ज्यादा विचार करना या उसे यहां पुनः लिखना अर्थहीन है। पर हम आपको बता दें कि यह एक ऐसी ट्रिनिटी संधि है जिसमें सब एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलेंगे। फेसबुक जिओ और व्हाट्सएप। यहां तक तो बात बिल्कुल साफ है कि ऐसा अक्सर व्यवसाय में चलता है , यह नई बात तो है नहीं। पर इसमें नया एंगल क्या है ऐसा फेसबुक ने क्यों किया ?
यही सवाल सोच रहे हैं ना आप ।
तो समझिए के अब फेसबुक एक तरह से किसी ऐसे व्यवसाय में कूदना चाहता है जो उसे आने वाले समय में एक विकल्प के रूप में खड़ा कर दे और वह व्यवसाय हो सकता है ऑनलाइन मार्केटिंग ।
वर्तमान में इसके 3 बड़े खिलाड़ी है अलीबाबा अमेजॉन और फ्लिपकार्ट । भारत एक विशाल बाजार है। यह आप सब जानते हैं यद्यपि बता दिया। बाजार की नब्ज पकड़ना बहुत जरूरी है और नब्ज ट्रेडिशनल तरीकों से पकड़नी मुश्किल होगी।
फेसबुक बहुत ही अधिक चिंतित रहता है आपके बारे में उसे मालूम है कि आज आपके मित्र से 5 साल पहले मित्रता हुई थी। फेसबुक ना केवल मित्रता की याद दिलाएगा और आपकी एक्टिविटी के आधार पर हो सकता है कि आपको यह बता दे आपके मित्र को अमुक वस्तु ऑनलाइन गिफ्ट की जा सकती है। हो सकता है आपको मेरे सोचने पर हंसी आ जाए। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी का मतलब भी यही है आप भले ही अपना डाटा किसी को ट्रांसफर ना करें फिर भी आपको क्या पसंद है इसका अनुमान इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी के जरिए पता लगाया जा सकता है। हमारा सबसे करीबी रिश्तेदार सोशल मीडिया फोरम है। चाइना के चित्र देखकर हमें हंसी आ जाया करती थी एक कैरीकेचर में कार्टूनिस्ट ने दर्शाया था कि चीन के रेलवे स्टेशन पर प्रत्येक हाथ में सेलफोन था। और सारी भीड़ सिर झुकाए खड़ी हुई थी। ट्रेन आती है प्रतीक्षारत यात्रियों की निगाहें दरवाजे तक पहुंचते-पहुंचते भी लगभग सेल फोन पर होती है।
इस तरह हम अत्यधिक हमारे व्यवहार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को परिचित करा रहे होते हैं। और आपकी यह जानकारी यानी ट्रेंड का उपयोग आप को परोसे जाने वाले कंटेंट, को सुनिश्चित करता है। लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी कुछ कदम आगे और बढ़ रही है आपकी रुचि और आवश्यकता का आकलन करते हुए आपके सामने वह प्रोडक्ट रखा जाएगा जो लगभग आपकी रुचि के अनुकूल है। मित्रों अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें जियो से फेसबुक को क्या फायदा होगा ?
इससे फेसबुक जब अपना व्यवसाय विस्तारित करेगा तो वह निश्चित तौर पर डाटा सर्विस पर सर्वाधिक निर्भर करेगा और जिओ डाटा नेटवर्क के ग्राहक भरपूर मात्रा में जिओ के पास मौजूद है । चलिए देखते हैं आने वाले समय में क्या होता है कैसी लगी जानकारी आपको पसंद आए तो आप इसे शेयर कीजिए

22.4.20

उत्तरकांड दोहा 120 से 121 का वायरल टेस्ट : संजय राजपूत

यह आलेख श्री संजय सिंह राजपूत गंभीर अध्ययन कर्ता हैं । श्री संजय राज्य ग्रामीण संस्थान जबलपुर में संकाय सदस्य के रूप में कार्यरत हैं और रचनात्मक लेखन उनकी विशेषता है। सोशल मीडिया पर वायरल उत्तरकांड के दोहा क्रमांक 120 से लेकर 121 तक को कुछ अध्ययन शील लोगों ने फोटो लगाकर इस कदर वायरल किया महात्मा तुलसीदास ने कोरोना वायरस चमगादड़ का जिक्र उत्तरकांड में उपरोक्त दोहों में कर दिया है । उत्तरकांड में चौपाइयां और दोहे सोरठे सरल तरीके से लिखे गए हैं जिनका अर्थ आसानी से लगाया जा सकता है परंतु हमारे बुद्धिमान पढ़े लिखे लोग भी इसे अनावश्यक वायरल करने से बाज नहीं आए। संजय जी ने इसका विश्लेषण कर मुझे भेजा है। कृपया पढ़िए और जानिए क्या लिखा है उत्तरकांड में 

रामचरित मानस के उत्तर काण्ड में
‘‘चमगादड़ और कफ आदि बीमारी’’ का व्हाट्सएप संदेश पर विचार-मंथन
(गोस्वामी तुलसीदास रचित -रामचरित मानस, उत्तर काण्ड,
दोहा नम्बर 120-121 के विशेष संदर्भ में)
विचार मंथन: डाॅ. संजय कुमार राजपूत, संकाय सदस्य
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान-मध्यप्रदेश, 
अधारताल, जबलपुर
पूरी दुनिया में कोरोना (COVID-19) वायरस महामारी का विकराल रूप देखने मिल रहा है। जिसका असर हमारे शरीर और मन दोनों पर पड़ रहा है। लाॅक डाउन के दौरान व्हाट्सअप पर कोरोना संक्रमण से संबंधित बहुत संदेश पढ़ने मिल रहे हैं।
ऐसा ही फारवर्डेड संदेश इन दिनों व्हाट्सऐप पर वायरल हो रहा है जिसमें रामचरित मानस उत्तर काण्ड के दोहा नम्बर 120 एवं 121 का संदर्भ देते हुये व्याख्या दी गई कि, ‘‘जब पृथ्वी पर निंदा बढ़ जाएगी, पाप बढ़ जाएंगे तब चमगादर (चमगादड़) अवतरित होंगे और चारों तरफ उनसे संबंधित बीमारी फैल जाएंगी और लोग मरेंगे। एक बीमारी जिसमें नर मरेंगे उसकी सिर्फ एक दवा है प्रभु भजन दान और समाधि रहना यानी लाॅक डाउन।’’ इसी प्रकार की भ्रामक व्याख्यायें मैसेज के साथ पढ़ने मिल रही हैं।
रामचरित मानस में इन दोहों के अर्थो को पढ़ने से मुझे जितना समझ आया उन्हें लिख रहा हूॅं। ये जरूरी नहीं कि आप मेरे विचारों से सहमत हों। सबसे पहली बात मुझे तो ये सही नहीं लगती है कि, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड के दोहा नम्बर 120 और 121 में जिन विषयों को वर्तमान में फैले कोरोना जैसे संक्रमण महामारी से संबंधित हो। अब हम विचार करते हैं रामचरित मानस के उत्तर काण्ड के दोहा नम्बर 120 क-ख के बाद चैदहवीं चैपाई के संबंध में जिसमें लिखा है कि, ‘‘सब के निंदा जे जड़ करहीं। ते चमगादुर होई अवतरहीं। सुनहु तात अब मानस रोगा। जिन्ह ते दुख पावहिं सब लोगा।। 
रामचरित मा
 डॉ संजय सिंह राजपूत 
नस के टीकाकारों ने इसका अर्थ लिखा है कि, जो मूर्ख मनुष्य सबकी निन्दा करते हैं, वे चमगादड़ होकर जन्म लेते हैं। हे तात ! अब मानस-रोग सुनिये, जिनसे सब लोग दुःख पाया करते हैं। इसके आगे की चैपाईयों में मोह-अज्ञान को रोगों की जड़, काम को वात, लोग को बढ़ा हुआ कफ, क्रोध को पित्त के समान बताया है। 
दोहा नम्बर 121 क ‘‘एक ब्याधि बस नर मरहिं, ए असाधि बहु ब्याधि। पीड़हि संतत जीव कहुॅं, सो किमि लहै समाधि।। इसका मतलब ये है कि जब एक ही रोग के वश होकर मनुष्य मर जाते हैं, फिर ये तो बहुत-से असाध्य रोग हैं। ये जीवों को निरन्तर कष्ट देते रहते हैं, ऐसी दशा में वह समाधि (शान्ति) को कैसे प्राप्त करें ? इसके आगे के दोहों और चैपाईयों में नियम, धर्म, आचार (उत्तम आचरण), तप, ज्ञान, जप, दान जैसी औषधियों के साथ ही साथ अन्य उपायों को बताया गया है। 
सार की बात है कि, 
रामचरित मानस उत्तर काण्ड के दोहा नम्बर 120 क-ख के बाद चैदहवीं चैपाई में जब हम ‘‘सुनहु तात अब मानस रोगा’’ पढ़ते हैं तो सवाल ये उठता कि, ये ‘‘तात’’ कौन हैं और ये किससे - कब और किस संदर्भ में बात कर रहे हैं। 
इस जिज्ञासा का समाधान हमें मिलता है उत्तर काण्ड के 120 नम्बर की पहले के दोहों, चैपाईयों में ही। ये बातें कागभुशुण्डी जी ने गरूण जी से दुःख और सुख के संदर्भ में कहा है। इस विचार मंथन से नीचे लिखी तीन बातें सार के रूप में निकलती हैं:-
(1) गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के उत्तरकाण्ड के दोहा नम्बर 120 और 121 ऐसा कुछ भी नहीं लिखा गया है जिसका सीधी संबंध इस समय महामारी के रूप में फैले संक्रमण ‘‘कोराना’’ से हो। 
(2) ये बातें कागभुशुण्डी जी ने गरूण जी से दुःख और सुख के संदर्भ में बताया है। जिसमें मानस रोग जैसे मोह-अज्ञान को रोगों की जड़, काम को वात, लोग को बढ़ा हुआ कफ, क्रोध को पित्त के समान बताया है। 
(3) इस प्रकार के बहुत-से असाध्य रोग हैं। ये जीवों को निरन्तर कष्ट देते रहते हैं, ऐसी दशा में वह समाधि (शान्ति) को कैसे प्राप्त करें ? इसके आगे के दोहों और चैपाईयों में नियम, धर्म, आचार (उत्तम आचरण), तप, ज्ञान, जप, दान जैसी औषधियों के साथ ही साथ अन्य उपायों को बताया गया है। 
तो अब आगे क्या ...
मेरा अनुरोध बस इतना ही है कि, व्हाट्सएप पर जब भी कोई संदेश आगे बढ़ावें तो उसके पहले एक बार ये जरूर सोचें कि क्या ये संदेश आगे बढ़ाने लायक है या नहीं। अब तो इस प्रकार के अनुपयुक्त और भ्रामक संदेशों को भी अपने मोबाईल में ‘‘लाॅक डाउन’’ करने की जरूरत दिखाई देने लगी है। ऐसा करने से हम भ्रांतियों के संक्रमण को रोकने में अपना सकारात्मक योगदान दे सकेंगे। 

21.4.20

पालघर पर टिप्पणी मत करो सवाल के उत्तर देदो


इस आर्टिकल को किसी भी स्थिति में सांप्रदायिक नजरिए से पढ़ने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आर्टिकल केवल लचर प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डाल रहा है। लल्लनटॉप के इस प्रसारण को देखें जिसमें स्थिति बेहतर स्पष्ट रुप से विश्वास करने योग्य है जिसमें उन्होंने आवश्यकता को रेखांकित किया है। इस रिपोर्ट में सौरभ द्विवेदी साफ तौर पर कहते हैं कि उस स्थान पर रहने वाले लोग उग्र थे कारण था उस क्षेत्र में बच्चोंं का अपहरण हो जाना। वहां के निवासियोंं द्वारा जन रक्षक समिति बनाकर अनजान लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने एक डॉक्टर और पुलिस को भी लिंचिंग का टारगेट बनाया। स्पष्टट है कि पल भर के पुलिस प्रशासन ने 8 दिन सेे चली आ रही कथित परिस्थिति पर कोई फुलप्रूफ कार्यक्रम तैयार नहीं किया। और यह घटना हो गई। इस आलेख का यह आशय कदापिि नहीं की हम किसी संप्रदाय बिंदु को यहां प्रमुखता दे रहे हैं
हमारे प्रश्न है कि सोशल मीडिया के रिस्पांस बिल ठेकेदार खासतौर पल-पल में ट्वीट करने वाली सेलिब्रिटी जो आधी रोटी में दाल लेकर उच्च करना शुरू कर देते हैं ने महाराष्ट्र सरकार को क्या क्या और कैसे कैसे सुझाव दिए। पर आप जानते हैं की
आयातित विचारधारा की  भीड़ ने  कसम खा ली है कि वह पालघर का जिक्र ना करेंगे और ना ही वे किसी भी स्थिति में अवार्ड वापस करेंगे। क्योंकि अब उनके पास अवार्ड नहीं बचे हैं और पालघर में जो हुआ वह होना ही था क्योंकि गलतफहमी हो गई थी । है न इस तरह की गलतफहमी का अर्थ है कि अगर आप यानी केवल आप गलतफहमी में  कानून हाथ में लें तो ले सकते हैं !
पता नहीं कौन सा संविधान इनके पास है जिस पर यह चलते हैं । यही आतंकवाद है यही नक्सलवाद है।
चलो ठीक है कुछ मत करो संवेदनाएं तो है नहीं तो व्यक्त क्या करोगे। यदि संवेदना नहीं है तो मेरे कुछ सवालों का जवाब दे दो । नीचे दिए प्रश्नों को देखकर आप महसूस करेंगे कि कुछ प्रश्न काफी तीखे हैं परंतु यह बात नहीं है ऐसे प्रश्न सहज और जरूरी भी तो हैं।
1. गलतफहमी या भ्रम किसी की हत्या का अधिकार देता है क्या ऐसा कोई संशोधन बिल महाराष्ट्र में पास हो गया है
2. जिन भी लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की है उनकी सूची साथ में जारी क्यों नहीं की गई
3. क्या वहां बच्चा चोरी करने की घटनाएं आमतौर पर होती रहती है पालघर से कितने बच्चे चोरी हुए हैं उनकी लिस्ट तो थाने में मौजूद होगी ना उसे प्रकाशित क्यों नहीं किया। यहां समझने की यह बात भी है कि पुलिस स्वयं कथित तौर पर मॉब लिंचिंग की शिकार हुई है तो क्या पुलिस ने कोई फुलप्रूफ कार्रवाई की।
4. पुलिसवाला मॉब को नियंत्रित रखने में सक्षम नहीं था तो क्या उस पास मोबाइल भी नहीं था कि वह अतिरिक्त फोर्स मांग ले क्या आपने उसकी एफ आई आर भी की है
5. गलती और गलतफहमी से हुई हत्या हत्या नहीं होती इसे किस रनिंग में रख रहे हैं आप ।
6. साधुओं की ₹50000 और सोने की कीमती धातु से बनी पूजन सामग्री गलती से लूटी है या गलतफहमी से
7. इसे मॉब लिंचिंग नहीं कहा जा सकता यह सुनियोजित हत्या है जिसमें महाराष्ट्र पुलिस का सिपाही भी शामिल है यद्यपि ऐसा लगता है कि वह स्वयं को असहाय महसूस कर रहा है। पुलिस वाला एक था या एक से अधिक किस बात की पुष्टि वीडियो से जो हमने देखा नहीं हो पा रही है
8. महाराष्ट्र के गांव में अव्यवस्था का अर्थ क्या निकालें
इन सवालों का जवाब आप देंगे या रवीश कुमार स्वरा भास्कर अथवा आयातित विचारधारा का कोई शीघ्र बताएं ।
आलेख में हम बार-बार यह कहना चाहते हैं कि यह व्यवस्था पर प्रहार है ना कि किसी जाति धर्म वर्ण से संबंधित ही है।

20.4.20

"रघुवीर यादव : जबलपुर से मुंबई वाया ललितपुर...!"


रेलवे कॉलोनी के बंगले में मेरे मित्र संजय परौहा बाहर से ही आवाज लगाई और कहां तुरंत चले आओ रजत मयूर लेकर रघुवीर यादव आने वाले और हम एक आर्टिकल तैयार करते हैं देशबंधु के लिए 1985-86 की यह बात है ! फिल्म मेसी साहब के लिए यादव को रजत मयूर मिला। सुबह का 9:00 बजा था और हम दोनों मित्र रेलवे स्टेशन वाले हमारे बंगले से कुछ कर गए रघुवीर यादव से मिलने इंटरव्यू लेने। उन दिनों देशबंधु दिन में निकलने लगा था। सुरजन परिवार द्वारा प्रबंधित यह अखबार एक खास पर्व जिसे आप इंटेलेक्चुअल्स कह सकते हैं के बीच बहुत लोकप्रिय था । संजय के साथ जाकर हमने रघुवीर यादव का इंटरव्यू लिया। एक तस्वीर हम दोनों की हाथ में रजत मयूर छू कर देखा था हमने जबलपुर के लिए एक गरिमा में बात थी जबलपुर का एक भगोड़ा लड़का भागकर वापस आया तू उसके हाथ में एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। रघुवीर जी के नाना के स्कूल में वे अपनी गुरुजी प्रिंसिपल रासबिहारी पांडे जी से मिलने आए थे। बहुत थके थके थे किंतु उत्साह उमंग और खुशियां उस शॉर्ट हाईटेड इंसान को एफिल टावर का एहसास दे रही थी । कम से कम हमने तो यही महसूस किया। अकेले नहीं थे पूर्णिमा भी थीं उनके साथ में । भीड़भाड़ में उनसे बात करना बहुत दूभर हो रहा था और हम ना तो प्रोफेशनल पत्रकार पर हां इंटरव्यू वगैरह लेने के लिए मैंने कुछ सवाल तैयार किए थे। हमारी पारिवारिक संपर्क में बड़े भाई की तरह हैं छायाकार पप्पू शर्मा उन्होंने यादव जी से लिए गए इंटरव्यू को स्टील कैमरे में कैद किया था और शाम तक एक ब्लैक एंड वाइट फोटो ला कर दी। इस नीचे दिए हुए वीडियो में जो विवरण सुनेंगे लगभग वैसे ही जवाब रघुवीर जी ने दिए थे । उन्होंने यह भी बताया था कि वह किसके साथ घर से भागे थे पर मुझे स्पष्ट रूप से कह दिया था उस व्यक्ति का नाम छापने की जरूरत नहीं। आर्टिकल में जब उसका नाम नहीं देखा तो सम्पादक जी ने कहा इस व्यक्ति का नाम क्यों नहीं दे रहे सम्पादक जी को बताया गया कि उनका नाम लिखने के लिए मना किया है रघुवीर जी ने ।
ललितपुर पारसी थिएटर एनएसडी से लेकर संघर्ष के दिनों की पूरी दास्तां से हम परिचित हो चुके थे। हम चाहते हैं कि पूर्णिमा जी से भी कोई बात कर ली जाए परंतु हमें और उनको दोनों को ही केवल  15 मिनट मिल पाए थे। आज राज्यसभा टीवी मैं इस लिंक पर जाकर जब दिखा तब समझ में आया कि 70 के दशक में या उसके पहले का दौर कितना कठिन रहा होगा । जबलपुर जैसे कस्बाई शहर में कलाकार की जिंदगी जीना आज भी बहुत मुश्किल है तब तो और कठिन हो रही होगी। 25 जून 1957 को जन्मे रघुवीर यादव ने बताया था कि वह रिजल्ट के डर से भागे थे।
लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी कला को निखारना था । रघुवीर यादव ने 1967 से संभवत 1975 तक खानाबदोश की जिंदगी बिताई। वे पारसी थियेटर के लोगों के साथ घुल मिल गए ढाई रुपए रोज में नौकरी करने वाला रजत मयूर पाकर संघर्ष की पूरी एक सफल दास्तान बन गया था। उनके वे हमउम्र अगर यह आर्टिकल पढ़ेंगे तो उन्हें शर्मिंदगी जरूर होगी कि जैसे ही पागल कहते थे और व्यंग कसते थे वह आज अपनी मंजिल पर सफलता का झंडा फहरा रहा है।
तो देखिए यह वीडियो लगभग वैसा ही है जैसा हमको यानी मुझे और संजय परोहा को रघुवीर जी ने इंटरव्यू में बताया था। सच कहूं तो उस दौर में मेरे काका श्री उमेश नारायण बिल्लोरे भी थिएटर किया करते थे। किंतु उस दौर में गायन नाटक इन सब विधाओं को अपनाने वालों को हिराक़त भरी नजर से दुनिया देखती थी उनको तो ताऊजी स्टेशन से ट्रेन से उतारकर वापस ले आए थे ।
    रघुवीर यादव संगीत के क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते थे। रांझी का यह किशोर क्या आज नहीं सोचता होगा कैसे हो संगीत सीखे कहां जाएं क्या करें..?
सच बताओ रघुवीर जी उस दौर में अगर आज की तरह फैसिलिटी होती है तो आप अभिनेता नहीं बन पाते। मैसी साहब में हमने आपको बहुत करीब से परखा। आपका अभिनय दिल में आज तक बसा हुआ है। पता नहीं अब आप मुझे पहचानते हैं कि नहीं कई बार आप जब जबलपुर आते हैं संयोग ही कहिए मैं आपसे नहीं मिल पाता पर जो पक्को है हम तुमाय जबरा फैन हैं बड्डा😊😊😊😊 . और हां एक बात और बता देत हैं भौत दिन तक आपके इंटरव्यू की मैंनस्क्रिप्ट संभाल कर रखी हति मनौ को जानि कितै हिरा गई ।
https://youtu.be/DUDGwTi-O9s
आज मेरी एक विद्यार्थी ने कोक स्टूडियो में रिकॉर्डिंग का वीडियो शेयर किया तो आपकी याद ताजा हो गई। सोचा कि आप से बात कर दी जावे सो बस लिख दिया यह आर्टिकल ।
https://youtu.be/e94zMF2OSm8
😊😊😊😊😊😊
कोक स्टूडियो में रिकॉर्डिंग लमटेरा को सुनिए इसमें गायक स्वर हमारे रघुवीर भैया का है आपके रोंगटे ना खड़े हो जाए तो बताइएगा
https://youtu.be/Bft1EZxmp1Q
  यह जो बंबुलिया वाला दृश्य आप याद कर रहे हो ना मुझे भी बहुत याद आता है। सालेचौका भिटोनी गाडरवारा नरसिंहपुर गोसलपुर रेलवे कॉलोनी के पास से निकलने वाली नर्मदा भक्तों की भीड़ से यह आवाज जो दिमाग में बसी है मुझसे तो दूर नहीं हो सकती मुझे से क्या किसी से भी वही मिठास वही देसी एहसास आज आपका यह वीडियो मेरे रोंगटे खड़े कर देने के लिए पर्याप्त था।
आपके बारे में पतासाजी करते रहने का प्रमाणपत्र यह आर्टिकल है ।

19.4.20

भारत में विदेशी पूंजीगत निवेश मैं सतर्कता के संकेत


भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना वायरस संक्रमण परिस्थिति के दौरान कठिनाइयों का आना स्वभाविक है। परंतु वर्तमान में ऐसा कुछ बहुत स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रहा... दक्षिण एशियाई देशों भारत की सीमा से लगे देश अथवा विशेष रुप से कोरोना वायरस संक्रमण जैसी आपदाओं का लाभ उठाने वाली अवसरवादी आर्थिक व्यवस्था द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधे दखलअंदाजी कर सकती है। भारतीय कंपनियों के माध्यम से अगर कोई कष्टप्रद निवेश हो सकता है तो वह होगा चाइना द्वारा। लेकिन वित्त मंत्रालय निश्चित रूप से इस पर सतर्कता बरतेगा ऐसा अर्थशास्त्रियों का मानना है।
आज भारत सरकार ने एक पत्र जारी कर एफडीआई निवेश पर अर्थात विदेशी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के तहत 10% से अधिक निवेश को सरकारी अनुमति के बिना अनुमति नहीं दिए जाने की भी सूचना वित्त मंत्रालय से प्राप्त हो रही है।
जय सूचना होते ही लागू हो जाएगी इससे भारतीय कंपनियां चाइना जैसी अवसरवादी अर्थव्यवस्था से प्रभावित रहेगी। आप जानते हैं कि चीन ने अमेरिका की इस पर पकड़ ना रखने वाली पॉलिसी का लाभ उठाकर कई अमेरिकी कंपनीस पर अपना प्रभाव जमाने की पूरी तैयारी कमरकस के कर दी है। एफडीआई पॉलिसी में कुछ परिवर्तन किया है। जहां तक चाइना की व्यवसाई समझ का मामला है तो पाठकों को यह जानना आवश्यक है कि यह देश बेहद सुनियोजित तरीके से किसी भी राष्ट्र की मजबूरियों का फायदा उठा सकने में सक्षम है।
यहां प्रधानमंत्री द्वारा घोषित मेक इन इंडिया कार्यक्रम सह अस्तित्व पर आधारित माना जावेगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एफडीआई पर इस तरह का प्रतिबंध लगाकर भारत सरकार ने समय रहते एक साहसिक कदम उठाया है।
आर्थिक विचारक यह भी मानते हैं कि-" इससे व्यवसाई कटुता बढ़ सकती है परंतु जब भारत एक बहुत बड़ा शॉपिंग कंपलेक्स है ऐसी स्थिति में कोई भी देश भारत के इस कदम पर कोई कमेंट नहीं कर पाएगा" किसी भी सरकार का ऐसा कर पाना साहसिक कदम की श्रेणी में आता है।
कोरोना वायरस संक्रमण काल में सेंसेक्स पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है, इससे भारत की उपलब्धि ही कहा जाएगा।
जहां तक शेयर बाजार की गतिविधि को समझें तो स्थिति बहुत असामान्य उच्चावचन नहीं दिखा रही है।

16.4.20

चार लोग क्या कहेंगे


तलाशते उम्र की आधी शताब्दी गुजर गई है। इन 4 लोगों की अपने देश काल परिस्थिति के आधार पर 4 नाम होंगे चारों की चार अपनी अपनी पहचान होगी। पर यह चार ना आज तक मिले न मिलेंगे और ना ही मिलने की संभावना है। और कोरोना वायरस पैडमिक सिचुएशन में तो इन चारों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही पड़ेगा यह चार लोग क्या कहते हैं इसका बात का  हमको  तो बढ़ा डर था और है भी। चलो छत पर थोड़ा टहलो  पड़ोस में रहने वाले लोगों से हेलो बोलो और कोई उटपटांग बात मत करना फर्जी खबर मत फैलाना। यह मैं इसलिए कह रहा हूं अगर आप गलत निकले तो बताओ चार लोग क्या कहेंगे 😊😊😊

14.4.20

बने किचिन किंग पत्नी से चार गुना प्यार पाए


सुप्रभात मित्रों
#कोरोना #लॉक_अवधि अब 30 अप्रैल 2020 तक बढ़ना है । 21 दिन का यह अनुभव आपके जीवन में निश्चित एक बेहतरीन परिवर्तन लेकर आया है। आपको किस तरह अपनी परिवार की मदद करनी चाहिए और किन-किन मुद्दों पर आपको परिवार के साथ में बैठकर चर्चा करनी चाहिए यह सब आपने सीख लिया है। फिर भी एक बार जो अनुभव मैंने किया वह आपके साथ शेयर कर रहा हूं। मित्रों सबसे बढ़िया बात तो यह है 21 दिन के इस लॉक डाउन मुझे घर को समझने का एक और अवसर मिला। यहां एक खूबसूरत बात यह हुई मैंने यह जाना कि - "हम पुरुष के रूप में कहां कहां अपने दायित्वों को भूल जाते हैं भले ही वह हमारे कार्य का दबाव हो या हमारा पुरुषोचित अभिमान", क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि हम हैं केवल उपभोक्ता घर में आकर हमें हर चीज हर काम हमारी इच्छा अनुसार होना चाहिए। यहां महिलाओं की भी एक त्रुटि है कि वे स्वयं को हमारी इस धारणा के लिए अनुकूल बना लेती हैं। हमारा यही दंभ हमारे लिए घातक हो जाता है और हम इस बात के लिए भी कभी तैयार नहीं होते यदि घर में एक ऐसी विषम परिस्थिति आ जाए कि हमें भोजन बनाना हो, हम परेशान से हो जाते है। और फिर एप्स या टेलीफोन नंबर के जरिए खाना मंगा लेते हैं । जो हमारे लिए न तो रुचिकर होता और न ही हमारे स्वास्थ्य के लिए अनुकूल ही होता है। बहुधा यह देखा गया है कि होटल अथवा ब्रांडेड भोजन की गुणवत्ता और शुद्धता हमारी परंपरागत आहार व्यवस्था के विपरीत होती है। आइए इस क्रम में हम आज एक ऐसे ब्लॉग का जिक्र करते हैं जो आपकी पत्नी पत्नी से चौगुना प्रेम प्राप्त करने का रास्ता खोलेगा।
जबलपुर मूल के श्री समीर लाल जो ब्लॉग जगत के बेहद प्रसिद्ध टेक्स्ट ब्लॉगर है तथा वर्तमान में कनाडा में रहते हैं। उनका ब्लॉग उड़नतश्तरी के नाम से प्रसिद्ध है अगर जबलपुर से हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास शुरू होता है तो चार्टर्ड अकाउंटेंट कनाडा वासी श्री समीर लाल के नाम से उसके बाद कहीं मेरा नंबर आता है और फिर उंगलियों पर गिनने लायक कुछ लोग शामिल है। 2007 से हम हिंदी ब्लॉगिंग कर रहे हैं। समीर लाल हिंदी ब्लॉगिंग के साथ-साथ अब यूट्यूब पर विभिन्न रेसिपी बताते हैं। और उनके द्वारा बहुत सारी रेसिपी अब तक यूट्यूब पर प्रस्तुत की जा चुकी है। जिसका लिंक मैं नीचे दे रहा हूं आप उस पर शाकाहारी एवं मांसाहारी रेसिपी देख सकते हैं और मनपसंद रेसिपीज बनाकर न केवल स्वयं बल्कि अपनी फैमिली को भी आनंदित कर सकते हैं।
वी-ब्लॉग का नाम - UFO KITCHEN
चैनल के निर्माण की तिथि तथा दर्शक संख्या - इस चैनल के निर्माण की तिथि 25 जनवरी 2015 है 226 वीडियो वाले इस चैनल पर अब तक 249,466 दर्शक भ्रमण कर चुके हैं। चैनल की नियमित दर्शक संख्या 158000 है ।
श्रेणी :- रसोई और रेसिपी
https://www.youtube.com/channel/UCt6ug85XfaM3VB5Eq4Knv2g

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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